गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

मेरी भी अर्ज़ सुन लेना......


एक छोटी सी मेरी भी अर्ज़ सुन लेना ,
मुझ को भी खुद से मिलवा देना, 
मेरा जीवन तुम्हारे नाम के मोती बीनते बीते,
एसी माला मुझ को भी पहना जाना !
तुम बिन जीवन वीरान था जीवन,
रंग भर इसमें अब इसको ,
रंगीन बना जाना ,
बस ये अर्ज़ है मेरे मोहन ,
अब की बार रंग ऐसा लाना ,
की जैसे-जैसे जन्मो बीते ,
रंग और भी चटकीला होता जाये.
मधुर गीतों से भर जाये खालीपन,
मोहन मेरे प्रीत  के रंग में डूबी बांसुरी भी ले आना !

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