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शनिवार, 8 अप्रैल 2023

कैसे समझाऊं

 
हाँ जान गए हम की 
जहाँ में होती नहीं मोहब्बत
सब के लिए ! 
पर, मेरे दिल को कौन समझाए 
जो, तुझे देख - देख ही धड़कता है 💖
  
हाँ जान गए हम की,
एक तरफ़ा मोहब्बत का,
कोई अंजाम नहीं होता !
पर, मेरी चाहत को कौन समझाए 
जो बस ज़िद्द पर अड़ी बैठी है 🥰

हाँ जान गए हम, 
की, इंतज़ार करने में,
कोई उम्मीद नहीं होती !
पर, अपनी आँखों को कैसे समझाऊं,
की तेरी रहा निहारना छोड़ दें 𝌗䷄

हाँ जान गए हम, 
की, तेरा प्यार नहीं है मेरे लिए !
पर, मैं खुद को कैसे समझाऊं,
जिसका रोम -रोम,
तेरे प्यार में डूबा हुआ है 💛💜💚🧡🤎💖💌

#हिन्दीकविता 
#प्रेमगीत

शनिवार, 25 मार्च 2023

प्यारी बेटियों के नाम


Photo from Twitter


 
एक उम्मीद पूरी होगी आज 
एक सपना, सच होगा आज 

चम्-चमाता गुलाबी रंग, 
कई गुलाबो सी खुश्बू फैला देगा आज
 
किसीकी आँखों की चमक 
किसीकी उम्र की थकान मिटा देगी आज
 
आँगन में गूंजती हसीं
किसीकी की उम्र को सफल कर देगी आज 


शनिवार, 11 मार्च 2023

कल तुम को जब देखा

 


कल तुम को जब देखा
तो एहसास हुआ
उम्र ने तुम को और भी
सजा दिया है


वो तुम्हारे बालों में
जो चाँदी की लकीरें है
मानो, तुम्हारे लिए ही बनी हो

वो तुम्हारे चेहरे की लकीरें
मानो, हमारे प्यार की
दास्तान बता रहीं हो

वो तुम्हारा
पलकों की ओट से
मुझे चोरी से देखना
आज भी मुझे तुम्हारी तरफ 
वैसे ही खींच रहा था 
 
वो तुम्हारा
भरा-भरा बदन
आज भी मुझे
आलिंगन को तरसा रहा था 
 
तुम्हें एतराज़ जो हो
ज़माने की कहानी छोड़
अब अपनी कहानी लिख लें
तुम और मैं
हम हो जाएँ
जो बचा है उसे
साथ गुज़ार लें


शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

तेरे बिन - Tere Bin

 
ये जो पवन बहती है
तेरी ही खुशबु लाती है ।
ये जो चाँद है
तेरी मुस्कराहट ही लाता है।
ये जो पल है ना
बस तेरी याद ही लाते है।
तू ही बता दे 
मैं क्या करूँ
की मुझे तेरे बिन
जीना ही नहीं आता है ...
 --- स्वयं रचित ---





शनिवार, 6 अगस्त 2022

तुम और मैं - Platonic Love

 

'वो दिन याद है क्या तुमको, जब तुम मुझे देख मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे, वो पहला दिन था जब मैं और तुम मिले थे'

'शायद तुम्हें याद है, तभी तुम मुझे देख मुस्कुरा रहे हो आज भी, ये निगाहें याद है मुझे अभी भी, जैसे कल ही की बात हो, पर बारहा साल हो गए हैं'.

'हम्म, बारहा साल, क्या हुआ था बारहा साल पहले, ऐसा क्या हुआ था, मेरे और तुम्हारे बीच, के मुझे आज भी उस दिन का एक-एक पल याद है, हम्म, तुम्हारी और मेरी निगाहें मिली और मैं और तुम उसी पल एक हो गए, न आकर्षण, न जिस्मों की भूख, न अपना बना लेने की चाह, बस हम-तुम एक हो गए और इस जहाँ से परे हो गए, हम-तुम उस जहाँ के हो गए, जहाँ बस प्रेम ही धर्म, जाती और कुल होते हैं, रंग-रूप और भेद-भाव, उम्र का अंतर किसी का भी कुछ वजूद होता ही नहीं, क्या तुम्हें भी याद है वो दिन ?'


'अरे-अरे , निगाहें क्यों मोड़ ली, कोई साथ है क्या, एक बार और फिर से, बस एक बार और मेरी ओर देखो न, देखो न मेरी तरफ, नहीं, ठीक है, शायद दुनिया का डर हो तुमको' 

'ये दुनिया है ही इतनी ज़ालिम की न बोलने पर भी चाहतों की बातें जान लेती है, शायद चाहत से डरती है ये, शायद जलती है चाहत करने वालों से ! अपनी ज़िन्दगी से परेशान लोग, चाहत करने वालों को हस्ते-मुस्कुराते कैसे देख सकते हैं, शायद, अपनी ज़िन्दगी में चाहत की कमी का एहसास होता होगा उन्हें, ' 

'पर आज मुझे फिर से वो हर एहसास याद आ गया है, तुम्हारे पास न होने पर भी, तुम्हारे पास होने का एहसास, तुम्हारी उँगलियों का मेरी ज़ुल्फ़ों को सहलाने का एहसास, तुम्हारी निगाहों का मेरे जिस्म को सवारने का एहसास, तुम्हारी मुस्कराहट का मेरे रोम-रोम को पिघलाने का एहसास, तुम्हारा, मेरे बदन के ज़र्रे-ज़र्रे को महकाने का एहसास, सब एहसास बस तुम्हारी  एक नज़र का कमाल थे'   

'सारे दिन कैसे याद आ गए मुझे, एक-एक कर सब याद आ रहा है, कहाँ छुप गए थे ये एहसास'

'तुम्हारी निगाहें किसी जादूगर से कम कहाँ थी, एक नज़र ही बस मेरे रोम-रोम को पिघला देती थी, क्या कहा था तुमने, 'मेरा प्यार platonic है, उफ़ कितना cute शब्द है, हालाँकि मुझे तब नहीं पता था की अंग्रेजी भाषा में platonic भी कोई शब्द होता है, पर  तुम्हारे होठों से निकला और तुम्हारी आवाज़ में सुना वो शब्द आज भी जब कानों में पड़ता है तो, तुम्हारी ही आवाज़ में सुनाई देता है, क्या दिन थे न वो, तुम्हारा हर शब्द मोती जैसा लगता था, जीवन का मकसद नज़र आता था, तुम्हारा प्रेम जीने का कारण बन गया था, तुम्हारी निगाहें तन-मन में बेचैनी सी भर देतीं थी' 

एक हल्का सा झोंका अभी भी जब मेरे गालों को छूता है, तो हर बार तुम्हारा ही एहसास लाता है, मेरे तन-बदन में बस वही लहर दौड़ जाती है जो तुम्हारे स्पर्श से पहले दौड़ती थी' 

'अरे कहाँ गए तुम, शायद जमाने से डर गए'

तुम : "तुम्हारे बालों में ये सफेदी कितनी खूबसूरत लग रही है" 

मैं - कोई बोल नहीं मिल रहे मुझे  : 'ओह, ये कब हुआ की तुम, वहां से यहाँ मेरे पास आ गए, नहीं-नहीं चले जाओ, ये सब मैं सहन न कर पाउंगीं'

तुम : "उफ़, ये नज़र अभी भी मुझे, तुम्हारा और भी दीवाना कर रही है, कुछ बोलो न, देखो न मेरी तरफ"

मैं : मंद-मंद मुस्कुराते, "और तुम्हारी नज़र, उसका क्या ?"

तुम: "तो चलो, पकड़ो मेरा हाथ, ऑंखें मूंदें चल दो मेरे साथ"

मैं: 'ऑंखें बंद किये चल दी, पर तुम हंस क्यों रहे हो'


'ऑंखें खोली तो पता चला की तुम नहीं दुनिया हंस रही थी, अब किसी को मुस्कुराते हुए चलते देखेंगें तो हसेंगे ही न'

'कोई नहीं हसंने दो इस ज़माने को, कम से कम किसी की अच्छी यादों का कारण तो बन पा रही हूँ, प्रेम भी कितना हसीं होता है, हर बात और हर चीज़ को हसींन बना देता है'  

'और तुम, कहाँ गए तुम, कोई न, कहाँ जाओगे, क्यूंकि तुम मेरी यादों और मेरे हसींन पलों का हिस्सा हो, मुझसे ये ज़माना तो क्या, तुम भी मुझसे तुमको नहीं छीन सकते, मेरी यादों और मेरी कल्पनाओं का हिस्सा हो तुम, चाहे मुझसे दूर हो पर, मेरी रूह और मेरे रोम-रोम में हो तुम'


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#हिन्दीकहानी

रविवार, 31 जुलाई 2022

एक रिश्ते के सताईस बरस - special post

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एक रिश्ते के सताईस बरस 

कुछ याद सा है और कुछ भूला सा
दो अधूरे से लोग
दो बिखरी सी ज़िंदगियाँ 
दो ख़ुद से ही अनजान लोग
चले थे एक अनजानी राह पर

राह, अनजानी थी 
तो भटकना वाजिब था 
राह अनजानी थी 
तो बिखर जाना तय था 
राह अनजानी थी 
तो जुदा हो जाना नियति थी 

साथ चलते-चलते भी एक फासला सा हो गया था
दो ज़िन्दगियों के बीच, वो फासला, मृगतृष्णा से भर गया था 
और फासला और गहराता गया था 

शायद, कोशिशों की मेहनत
न कर सके हम-तुम
शायद, रिश्ते की अहमियत 
न समझ सके हम-तुम
शायद, झूठे आदर्शों की 
बलि चढ़ गए हम-तुम

पर, फिर भी 
वो जो कुछ पल कोशिश के थे 
वो आज भी याद आते हैं कभी-कभी 
वो जो, कुछ पल मेरे और तुम्हारे थे 
याद आते है आज भी कभी-कभी
वो जो, कुछ  पल जिसमें हम-तुम
कुछ और जान डाल सकते थे 
याद आते है आज भी कभी-कभी

गर, ये सही है
की एक जन्म के साथी 
किसी और जन्म में भी मिलते हैं 
तो, ए, इस जन्म, के कुछ पल साथी
मिलना तू मुझे किसी और जन्म में भी 
मिल कर, इस जन्म की गीले-शिकवे  मिटा लेंगें 

मिलना तू मुझे किसी और जन्म में भी
वो जो बिखर गया है इस जन्म में
एक कोशिश, उसे समेटने की कर लेंगें 
हम-तुम भी 

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शनिवार, 9 जुलाई 2022

कुछ देर और

 

'जाने क्या बात है नींद नहीं आती'

नींद आएगी कैसे :

नींद तो चुरा ली है उम्र ने, अरे निगोड़ी, क्या जल्दी है तुझे, 

क्यों इतनी जल्दो बढ़ती ही जा रही है, कहाँ जाना है तुझे इतना तेज़ी से बढ़ कर, 

रुक तो सही, अभी तो उम्र है, जी तो लेने दे कम्बखत, 

देख तो सही दुनिया कितनी रंगीन है, इतनी रंगीनियां और कहाँ पाओगी, 

ये जो हर और रंग ही रंग है इनका क्या होगा.



अभी तो उम्र है, बदन में कुछ सरसराहट सी भी है अभी,

 दिल में अरमान भी है अभी, लबों पर एहसास अभी है बाकी. 

बदन को अभी भी, किसीके के अघोष में पिघलने की तमन्ना है 

अभी भी ज़रा सी आहट पर मचल जाते है एहसास .

क्यों बढ़ना चाहती है तेज़ी से ?


चल छोड़ अब ये ज़िद, देख तो सही रंग दुनिया के, कैसे सज्जेगें ये झुर्रियों में ?

अरमानो को तो देख, क्या यूँ ही अधूरे से रह जायेंगें ये ?

 लिहाफ में अभी भी जान बाकी है, छुपा लेगा अभी भी ये मेरे राज़, 

वो नशीली आँखों की मस्ती, वो कपकपाते बदन, 

वो उलटे-पलटते अरमान, वो मेरे प्रेम की कहानी अभी भी जवान सी है.

किसीके कंधे पर सर रख, दुनिया भुला देने की आस, अभी भी टूटी नहीं है.

सोच तो सही, वो उँगलियाँ कैसे साजेगीं सुनहरी बालों में 

वो सहलाना किस तरहं हो पायेगा शिथिल त्वचा पर 

वो प्रीत की बातें कैसे होंगीं कंपकपाते होठों से 

वो हाथों में हाथ डाल कैसे चल पायेंगें 

वो ढलती काया पर कैसे चढ़ेंगें प्रीत के रंग .


ठहर तो सही, देख तो सही, किस प्यार से बुलाता है ये समां

कुछ और लम्हों में सिमट जाने दे

थोड़ा सा और प्रेम अगन में जल जाने दे 

कुछ देर और उन बाँहों के घेरों में छुप जाने दे अभी 

उन एहससों को थोड़ा और समेटने दे अभी 

नस-नस में थोड़ा और प्रेम को बसने दे अभी 

थोड़ा सा, बस थोड़ा सा और समय देदे बस ......


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शनिवार, 2 जुलाई 2022

एक हसीं ख्याब

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गिले-शिकवे अपनों से किये जाते हैं, 

हम - तुम तो अब पराये हो गए हैं 


तुम किसी और के हो गए हो 

और हम, हम अपने में ही खो गए हैं 


तुम, वो एक बार की बहार थे 

जिसने मेरे तन-मन को महका दिया था 

कुछ देर जिसने मेरे जीवन को सजा दिया था 

तुम वो किरण थे 

जो ज़िन्दगी में उजाला ले आयी थी 

मेरे सपनों को कभी रौशनी तुम्ही ने दी थी 

मेरे बदन को महक तुम्हारे होने से थी 


अब, जब तुम पास नहीं हो

पर, एहसास से तो पास हो 

मेरी यादों में

मेरे एहसास में

मेरे बदन की खुशबू में 

मेरी चाहतों में 

मेरे खवाबों में


बस ख्याब ही तो थे तुम

मेरा, एक हसीं ख्याब 

मेरा बस मेरा ही 

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शनिवार, 19 मार्च 2022

वक़्त लगता है - कुछ पंक्तियाँ




कैसे दिल समझे की,
धड़कन भी उसकी अपनी नहीं है यहाँ
कैसे निगाहें समझे की,
नज़ारे इस जहाँ के पल भर के ही है
कैसे ये उम्र समझे की,
ढल रही है वो भी अब दिन बा दिन
कैसे ये एहसास समझे की,
प्यार को प्यार मिले ज़रूरी नहीं है यहाँ
कैसे खुद् को समझाएं की,
वक़्त लगता है सही वक़्त के लिए भी यहाँ


शनिवार, 5 मार्च 2022

तुम और मैं


                       प्यार को प्यार रहने दो कोई नाम ना दो                          

                                                                                     


तुम्हारे नयन,  
मकसद खोजते रहे,
मेरे नयन 
                  वफा की बरसात करते रहे                   
तुम्हारा मन 
मेरी चाल सझता रहा 
मेरा मन 
तुम्हारा होता रहा।
तुम्हारा दिल 
मुझे नादान समझता रहा 
मेरा दिल 
तुम में  रमता रहा।
तुम मुझे 
झूठा समझते रहे 
और मैं 
तुम्हे रूह में र-माती रही।
दोष ....
ना तुम्हारा था 
ना मेरा था 
रस्मे जहाँ तुम निभाते रहे 
रस्मे मुहबत हम निभाते रहे 


 #hindi #hindikahani #hindistory #hindiblog                 

रविवार, 13 फ़रवरी 2022

रिश्ता प्रेम से

 
एक अजीब सा रिश्ता है प्रेम से    
जब होता है                       
तो सवालों से उलझा सा देता है  

जब नहीं होता                    
तो भी उसकी                     
ख़ूबसूरती का एहसास होता है          

जब सामने होता है                                               
तो बिना बात की 
उदासी सी दे देता है 

जब दूर होता है तो 
मन को काले बादलों सा 
घेर लेता है 

प्रेम का अपना ही क़ायदा है 
पास होता है, तो 
जुदा होने की काली छाया 
से घेर लेता है 

प्रेम का अपना ही क़ायदा है 
दूर होता है, तो 
तो पास होने की आस में 
डूबा सा लेता है 

एक अजीब सा रिश्ता है प्रेम का 
न दूर जाने देता है 
न पास रहने देता है 
न कोई पिंजरा है इसका 
न कोई कारागार है इसकी 
फिर भी बंधन बांधे रखता है    

शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

तुम्हरी याद


कुछ ये सुरूर है की तुम याद आते हो 
और फिर, मैं खुद ही जुदा हो जाता हूँ 

पल आते है, जाते है 
दुनिया की रस्में चलती रहती है 
तुम्हारी कमी सी खलती है !

कभी - कभी लगता है 
क्यों जी रहे हैं 
कौन सा क़र्ज़ है 
जो उतरते ही नहीं बनता 

याद किये नहीं बनता 
क्या तुमसे कोई वादा किया था !
अब मिलो तो याद करवा देना 

वादा पूरा कर पाएं 
हो सकता है मुमकिन न हो,
पर वो जो अधूरा कर्ज़ है 
उसका यकीन तो हो जायेगा 

मरने की भी जल्दी नहीं
उस पार तुम मिल जाओगे,
इस का यकीन भी तो नहीं I

अब आ ही गए है 
तो दुनिया के हर सितम
देख कर ही जायेंगें 

सितमों का हिसाब 
करके, ही जायेंगें 
उस पार इन सितमो 
को संग नहीं ले जायेंगें 

गम , ख़ुशी 
सबका हिसाब यहीं करके जायेंगें 

उस पार कुछ न ले जायेंगें 
फिर आयें न आयें 
सब हिसाब अब की बार ही 
बराबर कर जायेंगें 

#hindi 
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#हिन्दीकविताएं 


शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

अपने दाएरे ----


खुद के बनाये दायरे को
खुद ही तोड़ने लगते हैं हम 
रंगीन सराब की रंगीनियों में 
क्यों डूबने लगते हैं हम 
यकीन होते हुए भी की 
रंगीन सराब पालक झपकते ही खो जायेगा 
उसकी खुशबु से दिल क्यों
महकाने लग जाते हैं हम 

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