हाँ जान गए हम की
जहाँ में होती नहीं मोहब्बत,
पर, मेरे दिल को कौन समझाए
जो, तुझे देख - देख ही धड़कता है 💖
हाँ जान गए हम की,
एक तरफ़ा मोहब्बत का,
पर, मेरी चाहत को कौन समझाए
जो बस ज़िद्द पर अड़ी बैठी है 🥰
'हिंदी कवितायेँ 'और कुछ 'हिंदी कहानियाँ' सपनो में गुज़र रही है ज़िन्दगी, ख्यालो में बना रखा है हमने अपना घर, दिल की बात को शब्दों की माला में पिरोते रहना, बस इतना ही बना रखा है हमने अपना दायरा, जीने के लिए बस जो ज़रूरी है उतने में ही समेट रखा है हमने अपना जहां। 'Hindi Poems' and some 'Hindi Stories'
'वो दिन याद है क्या तुमको, जब तुम मुझे देख मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे, वो पहला दिन था जब मैं और तुम मिले थे'
'शायद तुम्हें याद है, तभी तुम मुझे देख मुस्कुरा रहे हो आज भी, ये निगाहें याद है मुझे अभी भी, जैसे कल ही की बात हो, पर बारहा साल हो गए हैं'.
'हम्म, बारहा साल, क्या हुआ था बारहा साल पहले, ऐसा क्या हुआ था, मेरे और तुम्हारे बीच, के मुझे आज भी उस दिन का एक-एक पल याद है, हम्म, तुम्हारी और मेरी निगाहें मिली और मैं और तुम उसी पल एक हो गए, न आकर्षण, न जिस्मों की भूख, न अपना बना लेने की चाह, बस हम-तुम एक हो गए और इस जहाँ से परे हो गए, हम-तुम उस जहाँ के हो गए, जहाँ बस प्रेम ही धर्म, जाती और कुल होते हैं, रंग-रूप और भेद-भाव, उम्र का अंतर किसी का भी कुछ वजूद होता ही नहीं, क्या तुम्हें भी याद है वो दिन ?'
'अरे-अरे , निगाहें क्यों मोड़ ली, कोई साथ है क्या, एक बार और फिर से, बस एक बार और मेरी ओर देखो न, देखो न मेरी तरफ, नहीं, ठीक है, शायद दुनिया का डर हो तुमको'
'ये दुनिया है ही इतनी ज़ालिम की न बोलने पर भी चाहतों की बातें जान लेती है, शायद चाहत से डरती है ये, शायद जलती है चाहत करने वालों से ! अपनी ज़िन्दगी से परेशान लोग, चाहत करने वालों को हस्ते-मुस्कुराते कैसे देख सकते हैं, शायद, अपनी ज़िन्दगी में चाहत की कमी का एहसास होता होगा उन्हें, '
'पर आज मुझे फिर से वो हर एहसास याद आ गया है, तुम्हारे पास न होने पर भी, तुम्हारे पास होने का एहसास, तुम्हारी उँगलियों का मेरी ज़ुल्फ़ों को सहलाने का एहसास, तुम्हारी निगाहों का मेरे जिस्म को सवारने का एहसास, तुम्हारी मुस्कराहट का मेरे रोम-रोम को पिघलाने का एहसास, तुम्हारा, मेरे बदन के ज़र्रे-ज़र्रे को महकाने का एहसास, सब एहसास बस तुम्हारी एक नज़र का कमाल थे'
'सारे दिन कैसे याद आ गए मुझे, एक-एक कर सब याद आ रहा है, कहाँ छुप गए थे ये एहसास'
'तुम्हारी निगाहें किसी जादूगर से कम कहाँ थी, एक नज़र ही बस मेरे रोम-रोम को पिघला देती थी, क्या कहा था तुमने, 'मेरा प्यार platonic है, उफ़ कितना cute शब्द है, हालाँकि मुझे तब नहीं पता था की अंग्रेजी भाषा में platonic भी कोई शब्द होता है, पर तुम्हारे होठों से निकला और तुम्हारी आवाज़ में सुना वो शब्द आज भी जब कानों में पड़ता है तो, तुम्हारी ही आवाज़ में सुनाई देता है, क्या दिन थे न वो, तुम्हारा हर शब्द मोती जैसा लगता था, जीवन का मकसद नज़र आता था, तुम्हारा प्रेम जीने का कारण बन गया था, तुम्हारी निगाहें तन-मन में बेचैनी सी भर देतीं थी'
एक हल्का सा झोंका अभी भी जब मेरे गालों को छूता है, तो हर बार तुम्हारा ही एहसास लाता है, मेरे तन-बदन में बस वही लहर दौड़ जाती है जो तुम्हारे स्पर्श से पहले दौड़ती थी'
'अरे कहाँ गए तुम, शायद जमाने से डर गए'
तुम : "तुम्हारे बालों में ये सफेदी कितनी खूबसूरत लग रही है"
मैं - कोई बोल नहीं मिल रहे मुझे : 'ओह, ये कब हुआ की तुम, वहां से यहाँ मेरे पास आ गए, नहीं-नहीं चले जाओ, ये सब मैं सहन न कर पाउंगीं'
तुम : "उफ़, ये नज़र अभी भी मुझे, तुम्हारा और भी दीवाना कर रही है, कुछ बोलो न, देखो न मेरी तरफ"
मैं : मंद-मंद मुस्कुराते, "और तुम्हारी नज़र, उसका क्या ?"
तुम: "तो चलो, पकड़ो मेरा हाथ, ऑंखें मूंदें चल दो मेरे साथ"
मैं: 'ऑंखें बंद किये चल दी, पर तुम हंस क्यों रहे हो'
'ऑंखें खोली तो पता चला की तुम नहीं दुनिया हंस रही थी, अब किसी को मुस्कुराते हुए चलते देखेंगें तो हसेंगे ही न'
'कोई नहीं हसंने दो इस ज़माने को, कम से कम किसी की अच्छी यादों का कारण तो बन पा रही हूँ, प्रेम भी कितना हसीं होता है, हर बात और हर चीज़ को हसींन बना देता है'
'और तुम, कहाँ गए तुम, कोई न, कहाँ जाओगे, क्यूंकि तुम मेरी यादों और मेरे हसींन पलों का हिस्सा हो, मुझसे ये ज़माना तो क्या, तुम भी मुझसे तुमको नहीं छीन सकते, मेरी यादों और मेरी कल्पनाओं का हिस्सा हो तुम, चाहे मुझसे दूर हो पर, मेरी रूह और मेरे रोम-रोम में हो तुम'
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एक रिश्ते के सताईस बरस
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'जाने क्या बात है नींद नहीं आती'
नींद आएगी कैसे :
नींद तो चुरा ली है उम्र ने, अरे निगोड़ी, क्या जल्दी है तुझे,
क्यों इतनी जल्दो बढ़ती ही जा रही है, कहाँ जाना है तुझे इतना तेज़ी से बढ़ कर,
रुक तो सही, अभी तो उम्र है, जी तो लेने दे कम्बखत,
देख तो सही दुनिया कितनी रंगीन है, इतनी रंगीनियां और कहाँ पाओगी,
ये जो हर और रंग ही रंग है इनका क्या होगा.
अभी तो उम्र है, बदन में कुछ सरसराहट सी भी है अभी,
दिल में अरमान भी है अभी, लबों पर एहसास अभी है बाकी.
बदन को अभी भी, किसीके के अघोष में पिघलने की तमन्ना है
अभी भी ज़रा सी आहट पर मचल जाते है एहसास .
क्यों बढ़ना चाहती है तेज़ी से ?
चल छोड़ अब ये ज़िद, देख तो सही रंग दुनिया के, कैसे सज्जेगें ये झुर्रियों में ?
अरमानो को तो देख, क्या यूँ ही अधूरे से रह जायेंगें ये ?
लिहाफ में अभी भी जान बाकी है, छुपा लेगा अभी भी ये मेरे राज़,
वो नशीली आँखों की मस्ती, वो कपकपाते बदन,
वो उलटे-पलटते अरमान, वो मेरे प्रेम की कहानी अभी भी जवान सी है.
किसीके कंधे पर सर रख, दुनिया भुला देने की आस, अभी भी टूटी नहीं है.
सोच तो सही, वो उँगलियाँ कैसे साजेगीं सुनहरी बालों में
वो सहलाना किस तरहं हो पायेगा शिथिल त्वचा पर
वो प्रीत की बातें कैसे होंगीं कंपकपाते होठों से
वो हाथों में हाथ डाल कैसे चल पायेंगें
वो ढलती काया पर कैसे चढ़ेंगें प्रीत के रंग .
ठहर तो सही, देख तो सही, किस प्यार से बुलाता है ये समां
कुछ और लम्हों में सिमट जाने दे
थोड़ा सा और प्रेम अगन में जल जाने दे
कुछ देर और उन बाँहों के घेरों में छुप जाने दे अभी
उन एहससों को थोड़ा और समेटने दे अभी
नस-नस में थोड़ा और प्रेम को बसने दे अभी
थोड़ा सा, बस थोड़ा सा और समय देदे बस ......
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गिले-शिकवे अपनों से किये जाते हैं,
हम - तुम तो अब पराये हो गए हैं
तुम किसी और के हो गए हो
और हम, हम अपने में ही खो गए हैं
तुम, वो एक बार की बहार थे
जिसने मेरे तन-मन को महका दिया था
कुछ देर जिसने मेरे जीवन को सजा दिया था
तुम वो किरण थे
जो ज़िन्दगी में उजाला ले आयी थी
मेरे सपनों को कभी रौशनी तुम्ही ने दी थी
मेरे बदन को महक तुम्हारे होने से थी
अब, जब तुम पास नहीं हो
पर, एहसास से तो पास हो
मेरी यादों में
मेरे एहसास में
मेरे बदन की खुशबू में
मेरी चाहतों में
मेरे खवाबों में
बस ख्याब ही तो थे तुम
मेरा, एक हसीं ख्याब
मेरा बस मेरा ही
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