शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

कुछ ख़याल

उम्र भर उम्र तरसती रही
इक उम्र की तलाश में
पर, जब उम्र आई उम्र जीने की
तो उम्र को उम्र ही ना मिली उम्र जीने की।


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रात एक हवा का झोंका था
या तूने पुकारा था भूल से कहीं मुझे
कोई बता दे उसे की
उस से खूबसूरत नहीं है
पल ये उसके इंतज़ार के।


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कोई शराब पी कर जी रहा है
कोई गम खा कर जी रहा है
खाते - पीते जी रहे है सब
ज़िन्दगी है बीता रहे है सब।

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कुछ मेरी है मजबूरियां की मैं बोल नहीं पाती
कुछ तेरी मजबूरियां है की तू बिना बोले सुन नहीं पता।

कुछ मेरी कमियां है की मैं  लिख भी नहीं पाती
कुछ तेरी कमियां है की तू मेरी आँखों में भी पढ़ नहीं पता।

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रंगहीन लगते थे जब पल उसे
तो, याद करता था हर पल वो हमें
अब, जब, दुनिया के रंग मिलें है उसे
तो, हम ही रंगहीन लगते है उसे।

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एक पल था जब,
तेरी याद सोने नहीं देती थी,
उस पल को हमने तेरे बिन ही गुज़ार दिया,
अब ये पल है जो उस पल को गुजरने नहीं देते,
याद के समंदर में डूबते है हर रोज़ अब हम,
की वो पल ही अब जीन नहीं देते।




#हिंदी 
#hindikavita

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