भाग २ : https://tejinderkkaur.blogspot.com/2022/07/best-hindi-story.html
भाग ३
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'माँ भी मुझे अकेला छोड़ चली गयी, अब क्या, मेरी कहानी कैसे आगे बढ़ेगी, अभिनव की बात लग गयी शायद, न मैं अभिनव की हो सकी और न ही अनंत को अपना बना सकी' नेहा कैफ़े में बैठी अपनी ज़िन्दगी का हिसाब किताब लिख रही थी.
"नेहा? नेहा......, क्या बात है, ये तो नेहा ही है" नेहा ने देखा अभिनव उसके सामने खड़ा था .
"कैसी हो, कहाँ हो, क्या चल रहा है" अभिनव ने बड़े उत्साह से पुछा .
"मैं ठीक, तुम कैसे हो ?" नेहा ने धीरे से पुछा.
"नेहा, तुम ठीक तो हो, वो नेहा कहाँ गई, जिसके चेहरे से गुरुर झलकता था"? अभिनव ने चिंता जताते बोला, "माँ कैसी हैं?".
"अच्छी ही होंगीं, मुझसे और सबसे दूर जा कर" नेहा ने हलकी आवाज़ में जवाब दिया.
"ओह, बहुत अफ़सोस है, मैं अभी जल्दी में हूँ, तुमसे मिलता हूँ फिर" अभिनव बोल कर चला गया .
अभिनव भांप गया की नेहा अभी बात करने की स्थिति में नहीं है, और उसे वहां से जाना ही बेहतर लगा.
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दरवाज़े की घंटी ने नेहा की नींद खोल दी, 'कौन आया होगा'.
"ओह तुम, तुम्हें इस घर का पता कैसे चला" दरवाज़े पर अभिनव था.
"सारे सवालों के जवाब यही देने होंगें क्या?, अंदर आने को नहीं कहोगी ?" अभिनव ने प्यार से पुछा.
"अरे, आओ न, अंदर आओ, मैं पानी लाती हूँ" नेहा बोल कर रसोई घर में चली गई.
'अब, मैं इससे क्या बात करूँ' नेहा सोचते-सोचते अभिनव के लिए पानी ले गयी.
"कैसी हो, अब बताओ, क्या चल रहा है, बच्चे-वच्चे कितने हैं" अभिनव ने नेहा से पुछा.
"मैं ठीक हूँ, बच्चे हुए ही नहीं, और नौकरी चल रही है, और मैं तुम्हारे सामने हूँ" नेहा ने कहा.
"नेहा, मैं अनंत से मिला था, वो किसी और के साथ था, अब तुम अपनी कहानी बताओ " अभिनव ने चिंता जताते पूछा.
"अनंत जो कर रहा है वो उसकी ज़िन्दगी है, और ये मेरी, मुझे बस इतना पता है की मैं अपनी ज़िन्दगी में खुश हूँ और वो अपनी, बस इतनी सी ही बात है"नेहा ने बात को खत्म करते हुए कहा.
"ठीक है मान लिया, पर तुमने उससे शादी क्यों की, मुझे इस बात की समझ आज तक नहीं आयी" अभिनव ने नेहा से पूछा.
"मैंने कभी सोचा नहीं, जो हुआ वो क्यों हुआ" नेहा ने बात को खत्म करते कहा.
"नेहा, कब तक खुद को और अनंत को तंग करती रहोगी, उसे आज़ाद कर दो और खुद भी आज़ाद हो जाओ" अभिनव ने कहा,"चलने लगो तो रास्ता खुद-बा-खुद मिल जाता है"
नेहा कुछ बोल पाती इतने में दरवाज़े की घाटी बजी, 'कौन होगा अब' नेहा सोचते हुए दरवाज़े की और बढ़ चली
"जी, आप, ही नेहा हैं?" दरवाज़े पर डाकिया था, नेहा ने पैकेट वहीँ रखा और वो अभिनव के लिए चाय बनाने चली गयी," चाय तो पिओगे न, मैं बना लाती हूँ".
"नेहा, ये कैसे कागज़ कैसे हैं, खोल कर तो देखो? अभिनव बोला.
नेहा चाय बना लायी, तो देखा अभिनव ने डाक का लिफाफा खोल कागज़ निकाल लिए थे .
"लो बई नेहा, तुम्हारी आज़ादी का फरमान आ गया है" अभिनव ने कागज़ नेहा की और बढ़ा दिए.
तलाक के कागज़ देखते नेहा ने कहा "बड़ी देर कर दी, ख़ैर छोड़ो, तुम अपनी कहानी बताओ" नेहा ने अभिनव से पुछा .
"नेहा, मुझे पता है तुम बहुत strong हो पर, मेरी ये मजबूरी है की मेरी कहानी तुमसे शुरू हुई थी और तुम पर ही ख़त्म होना चाहती है" अभिनव ने नेहा से कहा.
"अब, तुम जा सकते हो, तुम्हारे साथ मेरी कहानी बन नहीं सकी, और अब बन भी नहीं सकती, वक़त निकल गया है, मेरी कहानी में अनंत एक ठहराव है और वो वही रहेगा बस, हमेशा"
अभिनव चुप-चाप उठ कर चला गया.
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अभिनव के जाते ही अनंत आ गया,"तो अब तुम अपनी कहानी को भी वापस दुबारा से लिख रही हो, मुझे ख़ुशी है इस बात की"
"अनंत, मैंने अपनी कहानी अपने-आप लिखी है, और उस कहानी में तुम हो और तुम ही रहोगे, हाँ, तुम अगर नहीं रहना चाहते, तो बात अलग है" नेहा ने सर नीचे कर सब बोल दिया.
"नेहा, तुम्हारी और मेरी कहानी अब एक नहीं हो सकती, क्यूंकि, क्यूंकि, मेरी कहानी में अब एक ज़िम्मेदारी आ गयी है" अनंत ने मेज़ पर रखे कागज़ नेहा की और बढ़ा दिए.
नेहा ने कागज़ पर हस्ताक्षर कर कागज़ अनंत की और बढ़ा दिए, "BestOf Luck, अब तुम जा सकते हो" नेहा, अनंत की और पीठ कर खड़ी रही.
"नेहा, मुझे.............! "
"अनंत, अगर तुम ड्रामा करना चाहते हो, तो please मेरे पास energy नहीं है, Please leave" नेहा ने अनंत को अपनी बात भी पूरी नहीं करने दी, और उसे जाने को कह दिया.
'अनंत, तुम्हारी एक ज़िमेदारी मेरे पास भी है अब, अब इस ज़िमेदारी को मुझे अकेले ही पूरा करना होगा' नेहा अपनी बात भी न कह पायी, और अनंत के जाने की आहट उसके रोम-रोम में गूंजने लगी.
'अकेले ये सब कैसे होगा, क्या मैं अनंत को बता दूँ, नहीं फिर तो वो बहुत परेशान हो जायेगा, अभिनव, नहीं-नहीं ये ठीक नहीं है, नहीं-नहीं न अनंत और न अभिनव, अब ये मेरी प्रॉब्लम है, अभिनव ने ठीक ही कहा की मैं स्ट्रांग हूँ, अब मेरे पास ज़िन्दगी जीने का एक बहुत हसीं कारण भी है.मैंने अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जी है और आगे भी मैं ही अपनी ज़िन्दगी की रचना करूंगीं' नेहा मुस्कुराते हुए चाय की चुस्की लेने लगी'
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