कुछ बूंदे है
हमने बहुत संभाल रखी है
पर बहाने के लिए नहीं
मोती बनाने के लिए।
बस तुम इतना करना
की उन बूंदों को बहने ना देना
उनको कोई कारण दे देना
मोती में बदल जाने का।
मालुम है मुझको
की मैंने कुछ जादा ही मांग लिया
पर खुद को तुमपर वार देने का
इससे बड़ा इनाम और क्या होगा भला।
अब ये ना कहना
की हम प्यार में सौदे -बाज़ी कर रहे है
क्यूंकि दिल लेना और देना
सौदे-बाज़ी नहीं तो और क्या है ?
पढ़ा भी, समझा भी लेकिन ... लेकिन कहूँ तो क्या कहूँ?
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएं