आज कल ऐसा ट्रेंड चल गया है की देश से बाहर बहुत लोग जा रहे है, सबको दूसरे देशों में घूमना पसंद आने लगा है, मुझे लगता है किसी ने अपने भारत देश के बारे में जानना भी नहीं चाहा, जितना वक़त हम बाहर के देशों में घूमने के लिए अनुसंधान करते है उससे आधा समय अगर हम अपने देश में दें तो हम कम समय और कम पैसों में अपना देश घूम सकते हैं। कई जगह हमारे देश में ऐसी हैं जो अभी भी बहुत ही कम लोगों को पता है। अगर आप को एडवेंचर पसंद है तो हमरे देश में नार्थ-ईस्ट (North-East) सबसे अवल नंबर पर आता है।
नार्थ-ईस्ट आठ प्रदेशो को मिला कर कहा जाता है, जो की इस प्रकार हैं अरुणाचल प्रदेश , असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा और मिजोरम। भारत के ये आठ प्रदेश अपने-अपने मन मोहक दृश्यों के लिए जाने जाते हैं। मन-मोहक प्राकृतिक दृशय और मन-भावक खेत-खलियान, जंगल सब एक से बढ़ कर एक। एक बार चले जाओ तो वापस आने का मन न करे। यहाँ के लोग भी बहुत मिलान सार है।
भारत के उतर-पूर्व में ऐसी कई जगह है जो बहुत ही सुन्दर है और वहां एक जगह है जो मावलीनांग (Mawlynnong) के नाम से जानी जाती है,जो की मेघालय ईस्ट खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट (East Khasi Hills District) में है। और मावलीनांग (Mawlynnong) भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का भी सबसे साफ़-सुथरा प्रदेश माना जाता है। वहां के लोग भी बहुत सफाई पसंद है। हर घर में फूल और फल के पौधे लगे मिलते हैं।
मावलीनांग (Mawlynnong) में बहुत सी ऐसी चट्टानें हैं जो बहुत बड़ी हैं पर वो अंदर से खोखली हैं , ये माना जाता है की ये चट्टाने बहुत साल से बहते पानी के द्वारा नक्काशी के द्वारा बनी हैं। मावलीनांग (Mawlynnong) खासी शब्द से बना है, जहाँ 'माव' का मतलब पत्थर होता है और 'लैनलोग' का मतलब बिखरा हुआ या छितरा हुआ होता है।मावलीनांग (Mawlynnong) खासी शब्द से बना है, जहाँ 'माव' (Maw) का मतलब पत्थर होता है और 'लैनलोग' (Lynnong) का मतलब बिखरा हुआ या छितरा हुआ होता है।
सबसे बेहतर तरीका मावलीनांग (Mawlynnong) पहुंचने का है, शिलॉन्ग से कार में जाना। रास्ता बहुत ही खूबसूरत है, बादल आपका हर मोड़ पर स्वागत करते हैं, और चांदी सी चमकती नहरें मन को मोह लेती हैं।
तेज़ पत्ता और पान का पत्ता बहुत ही लोक प्रिये है वहां, लोग पान का पत्ता, सुपारी और चुना खाना बहुत पसंद करते हैं, किसी के घर जाने पर वो लोग आपको पान का पत्ता ही सबसे पहले पेश करते हैं।
मावलीनांग (Mawlynnong) में कई पुराने ढांचे के आधार पर बनी छोटी-छोटी Chruch भी हैं, यहाँ की जनसख्याँ बहुत ही कम हैं, लोग भी यहाँ सीधे -साधे से हैं। सबसे बेहतरीन जो यहाँ है वह है 'Living Root Bridges' जीवित पेड़ की जड़ से बने पुल जो की छोटी-छोटी नहरों के ऊपर बने हैं। ये पुल यहाँ रहने वाले खासी लोगों द्वारा ही बनाये गए हैं, बड़े-बड़े पेड़ों की जड़ों को जोड़ कर ये पुल बनाये गए हैं, जो की स्थानीय लोगों द्वारा छोटी -छोटी नदी और नहरों को पार करने के लिए बनाये गए हैं।
ऐसे यहाँ बहुत से पुल बनाये गए हैं, जो की स्थानीय लोगों के लिए बहुत ही जरूरी हैं। कुछ पुल एक आधे घंटे की ट्रैकिंग के बाद ही दिख जाते हैं पर कई ऐसे हैं जिन्हें देखने के लिए एक से दो घंटे की ट्रैकिंग करनी होती है । ये पुल नाज़ुक से हैं, तो इन पर एक बार में बस दो-तीन लोग ही चल सकते हैं, एक बार में अधिक लोगो के भार से ये गिर भी सकते हैं।
यहाँ के स्थानीय लोग इन पुलों को समय - समय पर ठीक करते रहते हैं, पेड़ की जड़े ठीक से बाँधी जाती हैं ताकि जड़े जब बढ़ें तो एक साथ जुड़ कर पुल के लिए मजबूत ढांचा बनती जाएँ।
यहाँ सिंगल और डबल पुल भी हैं यानि पुल के ऊपर भी पुल है, जैसे की डबल डेकर पुल है। इस सबके बारे में जिनता लिखो उतना कम है। खूबसूरती को आँखों से देख कर ही उसका पूर्ण एहसास लिया जाता है। ताज महल सुन्दर है बस पड़ने मात्र ही नहीं देखने से ऐसा लगता है किसी ने आसमान और धरती को मिलाने वाली एक ईमारत की तस्वीर खींची हो। और हाँ मेरी बातों में मत आएं, खुदसे जा कर इस सबका एहसास करें। फिर बताएं कैसे लगे, ये अनोखा लिविंग रुट ब्रिज ।
बड़ी - बड़ी मूर्तियां, बिल्डिंगें, मन-मोहक पहाड़, लुभावने प्राकृतिक जंगल, सब कुछ तो है हमारे देश में, तो हमारी ज़िम्मेद्दारी हैं इन सब के आस - पास की जगह को साफ़ और अपने साथ ले जाई गयी बोतलें और खान -पान के पैकेट वहां न फ़ेंक कर अपने साथ ले आएं और उन्हें किसी कूड़ेदान में डाल दें।
इस धरती को जिसे हम माँ कहते हैं हमे बहुत कुछ दिया है, हमारा ये फ़र्ज़ है की हम इसे साफ़ रखने में पूरे मन से योगदान दें।