आवारा सा दिल मेरा
'हिंदी कवितायेँ 'और कुछ 'हिंदी कहानियाँ' सपनो में गुज़र रही है ज़िन्दगी, ख्यालो में बना रखा है हमने अपना घर, दिल की बात को शब्दों की माला में पिरोते रहना, बस इतना ही बना रखा है हमने अपना दायरा, जीने के लिए बस जो ज़रूरी है उतने में ही समेट रखा है हमने अपना जहां। 'Hindi Poems' and some 'Hindi Stories'
शनिवार, 17 सितंबर 2022
शनिवार, 29 जनवरी 2022
पुष्पा - The Rise - Without tears
'पुष्पा - I Hate Tears'
पर इस पुष्पा ने तो टीयर्स ही नहीं आने दिए। हर जगह बस पुष्पा-पुष्पा ही हो रहा है, कौन है जिसने ;श्रीवल्ली ' वाला गाना न सुना हो और उसका वो अपार प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका स्टेप न किया हो। 'पुष्पा' नाम सुन कर फ्लावर मत समझ जाइगा, ये फिल्म का सार है, बहुत ही मज़ेदार और फुल-टु एंटरटेनिंग मूवी है।
पहले सीन से ले कर आखरी के सीन तक, फिल्म आपको अपने प्यार में बाँध कर रखती है, छोड़ कर कहीं जाने का मौका नहीं देती, कहानी यूँ है की, न-न कहानी बता दी तो मज़ा किर-किरा हो जायेगा, पर कहानी की बात नहीं है यहाँ, यहाँ कहानी से बढ़ कर है मूवी के सीन्स, एक-एक सीन मूवी को बेहतर से बेहतरीन बनाते है।
फिल्म की कहानी वही है जो कुछ साल पहले अमिताभ बच्चन की फ़िल्मो की होती थी, जहाँ फिल्म का हीरो अपने प्रदर्शन से ही बस सारी बाज़ी मार ले जाता था, लोग अपनी सीटों पर खड़े हो कर ताली पीटा करते थे और सिनेमा हॉल में चारों और से सीटियों पर सीटियां बजती थी। पूषा - द राइज भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाने वाली मूवी, एक - एक सीन सीटी बजाने और ताली पीटने को मजबूर कर देता है। जहाँ हीरो नरम दिल का है और ज़ालिमों के लिए कठोर भी है, वो मज़लूमो के साथ है और जुल्म करने वालो के खिलाफ हिमम्त से खड़ा भी है। जहाँ मज़बूर माँ भी है, पर बेटे पर जान निछावर कर देने वाली माँ भी है।
नाच-गाना तो बस बांध कर रख देता है, अब ये सब सोशल मीडिया के द्वारा अब तक सब को पता ही हो गया होगा, नाच - गाने के कई स्टेप्स भी आज कल सोशल मीडिया पर बहुत धूम मचा रहे हैं, हर कोई नाच-गाने के स्टेप्स कॉपी कर रहा है, सबसे बढ़ कर ये एक मस्त और पूरी तरहं एक मनोरंजक मूवी है।
हीरो केंद्रित और भी मूवी हैं जहाँ कहीं न कहीं एंटरटेनमेंट की कमी झलकती है, पर इस मूवी में वो है जिसके साथ एक आम आदमी अपने को जोड़ सकता है, एक आम सा दिखने वाला, और सरल वेश-भूषा में नज़र आने वाले हीरो के साथ सब खुद को जोड़ सकते हैं। जिस फिल्म के एक-एक सीन से आम आदमी जब अपना सम्बन्ध बनता है तो फिल्म एक फिल्म नहीं रह जाती वो एक सोच को सच करने का साधन बन जाती है।
बहुत से लोगों को ये फिल्म पसंद नहीं भी आयी होगी पर इस वर्ग की ये एक उन्दा फिल्म है, मनोरंजन के नाम पर आप कुछ भी नहीं देख सकते, मनोरजन ऐसा हो जिसे देखने पर बाद में फुल पैसा वसूल महसूस करें, गाने ऐसे हों जो आपको गुन-गुनाने पर मजबूर करते रहे, धुन ऐसी जो दिलो -दिमाग को अपने काबू में कर ले।
कई बार ऐसा होता है की डब फिल्म भाषा में उलझ जाती है, और विशेषतर गाने तो अपनी ही धुन में उलझ जाते है, पर इस फिल्म के साथ ऐसा नहीं हुआ है, और यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।
अगर एक हलकी - फुल्की फिल्म देखने का मन हों और फुल टू एंटरटेनमेंट का मन हों तो फिल्म ज़रूर देखिएगा। बस एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट। उन्दा परफॉरमेंस वाली, फूल ऑन मनोरंजक डब मूवी देखनी हों या सब-टाइटल्स वाली ओरिजनल देखें मनोरजन की कोई कमी नहीं होगी।
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