रविवार, 29 जुलाई 2012

हरजाई से दो नैना.............



हरजाई से दो नैना,
कलम मिलते ही लकीरें खीचनें लगते है.
रंगीन ना भी मिले काली कलम से ही,
रूप-रेखा बनाने लग जाते है.

हरजाई से दो नैना,
मन-भावन रंग मिलते ही,
सपनो में रंग भरने लग जाते  है.

हरजाई से दो नैना,
रंग ढल भी जाये तो काली रूप-रेखा को,
मन की गहराई में छुपा लेते है. 

हरजाई से दो नैना,
अरमानों में दरार भी पड़ जाये,
तो भी दर्द छुपा लेते है.

हरजाई से दो नैना,
दिल में तूफ़ान भरा हो,
तो भी प्रकाश स्तम्भ बन चमकते रहते है.

हरजाई से दो नैना ,
सारी रात पानी में नहा कर भी,
सुबह पानी को काजल से सुखा लेते है.



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