एक
अजीब-सी उलझन है, क्या मैं खुद से अनजान हूँ या अनजान हैं सब मुझसे? एक अजीब-सा ख़याल है, कि मैं नाराज़ हूँ खुद से या सब नाराज़ हैं मुझसे? एक अजीब-सा एहसास है, कि मैं खुद से तन्हा हूँ या किसी की बेरुखी सबसे तन्हा कर गयी मुझे |
क्षण-पात्र ....... हिंदी कहानियाँ और कुछ पंक्तियाँ
'हिंदी कवितायेँ 'और कुछ 'हिंदी कहानियाँ' सपनो में गुज़र रही है ज़िन्दगी, ख्यालो में बना रखा है हमने अपना घर, दिल की बात को शब्दों की माला में पिरोते रहना, बस इतना ही बना रखा है हमने अपना दायरा, जीने के लिए बस जो ज़रूरी है उतने में ही समेट रखा है हमने अपना जहां। 'Hindi Poems' and some 'Hindi Stories'
मंगलवार, 9 सितंबर 2025
अजीब-सी उलझन
सोमवार, 8 सितंबर 2025
हिमाचली धाम
शिमला, हिमाचल प्रदेश के हृदय में स्थित यह रेस्टोरेंट अपने ग्राहकों को असली हिमाचली परंपरा का स्वाद चखाता है। यहाँ परोसा जाने वाला हिमाचली धाम थाली स्थानीय व्यंजनों की अनोखी झलक पेश करता है। थाली में सुगंधित चना माद्रा, पौष्टिक पहाड़ी दाल, नरम व स्वादिष्ट सिद्धू, खट्टे-मीठे स्वाद से भरपूर कद्दू की सब्ज़ी और कई अन्य पारंपरिक पकवान शामिल हैं।
| | |
| |
सोमवार, 1 सितंबर 2025
नादानियाँ
कुछ कच्ची उम्र
की
नादानियाँ थी
वो
अब पक्की उम्र में
लौट आयी हैं
नादानियाँ भी ऐसी
जो न
बालों की चाँदी देखती है
और न
उम्र की लकीरों का
तकाज़ा करती हैं
बस वो कच्ची उम्र वाले
लिहाफ ओढ़े
मुझे अपने में
समेटने को आती हैं
कोई जा कर कह दे
उन कच्ची उम्र की
नादानियों से
की अब हम
ज़माने को न छोड़ पायेंगें
और न ही
वो कच्ची उम्र वाला
लिहाफ ओढ़े पायेंगें
सोमवार, 25 अगस्त 2025
एक आहट सी
और
एक दिल तक जा पहुंची
सुनी - सुनाई बात पर यकीन नहीं करते
आहटों को आवाज़ नहीं समझ लिया करते
एक उम्र है मेरी
और
तुम्हारी भी, अब
इस उम्र
कुछ गलतियां नहीं करते
बस
कुछ, कहीं सुना तो था
समझ कर
कर देते है
सोमवार, 18 अगस्त 2025
भाग्य, कर्म और कुंडली
मानो
तो सब कुछ है,
ना मानो तो कुछ
भी नहीं।
पर सच यह भी
है कि
कहीं न कहीं कुछ
तो है।
कुछ
बंधन कभी बन ही
नहीं पाते,
कुछ बनकर भी पूरे
नहीं बनते।
कुछ टूटकर भी नहीं टूटते,
और कुछ ऐसे होते
हैं जो
ज़ख्मों को बार-बार
कुरेदते रहते हैं—
न जुड़ते, न टूटते।
यहीं
से सवाल उठता है
पिछले जन्म का।
हम नहीं जानते हमने
क्या किया था,
हमें तो स्मरण भी
नहीं।
पर शायद यही जन्म
इसलिए मिला हो,
कि हमें अपनी गलतियों
को सुधारने का
एक और अवसर मिले।
अंक
ज्योतिष की दृष्टि से
कहा गया है—
यदि आपकी कुंडली में
शनि (अंक 8) प्रमुख है,
तो आप किसी न
किसी कर्म-ऋण के साथ आए
हैं।
आपको जीवन में एक
और मौका मिला है
अपने कर्मों को सुधारने का।
शास्त्र
कहते हैं—
शनि देव जब अपनी
बैलगाड़ी में बिठा लें,
तो आसानी से उतरने नहीं
देते,
परंतु गिरने भी नहीं देते।
बस शर्त यही है—
कि इंसान अपने कर्म पर
ध्यान दे।
भाग्य
तो लिखा ही है,
पर चमकती उसी की किस्मत
है,
जो मेहनत और कर्म का
दीपक जलाता है।
और विस्तार से पढ़ने के लिए पढ़ने के लिए इस किताब को पढ़ सकते हैं |
"अंक ज्योतिष - हरिश जौहरी द्वारा" |
भगवद्गीता
में भगवान कृष्ण ने स्पष्ट कहा
है—
"कर्मण्येवाधिकारस्ते,
मा फलेषु कदाचन।"
अर्थात् इंसान का अधिकार केवल
कर्म पर है, फल
पर नहीं।
कर्म
ही वह शक्ति है
जो भाग्य की कठोर रेखाओं
को भी बदल सकता
है।
आज जो हम बोते
हैं, वही कल हमें
मिलता है।
अगर पिछली गलतियों का फल हमारे
जीवन में दुख बनकर
आया है, तो वर्तमान
में किए गए सही
कर्म भविष्य को सुखद बना
सकते हैं।
कुंडली एक मानचित्र है — जो यह
संकेत देती है कि
व्यक्ति किन चुनौतियों और
अवसरों का सामना करेगा।
उदाहरण
के लिए, अंक ज्योतिष
कहता है कि यदि
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली
में शनि (अंक 8) प्रमुख है, तो वह
अक्सर किसी न किसी
कर्म-ऋण के साथ जन्म
लेता है।
उसका जीवन कठिनाइयों से
भरा हो सकता है,
पर यह कठिनाइयाँ उसे
मजबूती देती हैं।
कहा भी गया है—
"शनि देव अपनी बैलगाड़ी में बिठा लें तो आसानी से उतरने नहीं देते,
पर गिरने भी नहीं देते।"
यानी
शनि सज़ा नहीं देते,
बल्कि जीवन के पाठ
सिखाते हैं।
भाग्य,
कर्म और कुंडली तीनों
मिलकर जीवन की डोर
बुनते हैं।
भाग्य हमें परिस्थिति देता
है,
कुंडली हमें संकेत देती
है,
और कर्म हमें शक्ति
देता है उन परिस्थितियों
को बदलने की।
इसलिए
जीवन में सबसे बड़ा
धर्म है — सत्कर्म।
क्योंकि वही भविष्य की
कुंडली भी बदल देता
है और भाग्य की
रेखाएँ भी।
#numerology