संकरे रास्तों में से अपना रास्ता खोजते रहते है हम,
और एक दिन अकस्माक्त ही,
रास्ते बनते चले जाते है,
स्वपन का चश्मा खंडित होने पर ही,
अपनी प्रतिभा का अंदाज़ा होता है,
डर का पिशाच उतरने पर ही,
खुद के होने का एहसास होता है,
आत्मघात से जीवन की किताब,
काले सफ़ेद अल्पमूल्य चित्र के समान है,
चलो रंग भर इसे मूल्यवान बना डाले,
तो जीवन की प्रभुता ही कुछ और होगी,
रास्तों पर चलते तो सब है,
रास्तों को चमन बना डालो तो बात ही कुछ और होगी.
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