मिलकर भी नहीं मिलते ऐसे लोग क्यूँ मिल जाते है ?
होकर भी अपने नहीं हो पाते,
ऐसे रिश्ते क्यूँ बन जाते है?
जिनको हम अपना नहीं सकते,
ऐसे लोग क्यूँ मन को भा जाते है?
जो दिल में समा जाते है,
ऐसे लोग पास क्यूँ नहीं रह जाते?
गम ही जब हमदम लगने लगे,
तो पल भर ख़ुशी क्यूँ मिल जाती है?
दिलों को मिल कर बिछड़ना ही होता है,
तो दिल क्यूँ मिल जाते है?
अपना सा लगने वाला भी पराया होता है,
तो यहाँ अपना कौन होता है?
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