गुरुवार, 29 मार्च 2012

खुदा पर विश्वास है बाकी.......





जब तुम्हारे होने का एहसास ना था,
तब हम बेफिक्रे से थे ,
जब तुम्हारे प्यार का साथ ना था ,
तब हम खुद से भी बेगाने से थे,
तुम से मिलकर एहसास होता है दिल को,
की शायद मेरी मंजिल का द्वार यही है,
तुम्हारे प्यार ने कुछ इस तरहां बांध लिया है,
की हम खुद को भी है भूल जाना चाहते,
पर ज़ालिम वक़्त की मार से है डर जाते,
जो पल-पल याद दिलाता है की,
तुम्हारे और मेरे बीच,
अभी भी कम से कम एक जनम का फासला है.
पर फिर भी एक आस तो है ही बाकी ,
जो पल-पल है उम्मीद बांधती की,
की जहां चहा है वहां राह भी है बन जाती .
और खुदा पर विश्वास है बाकी,
की वो कभी तो सुन लेगा हमारी

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