शुक्रवार, 18 मार्च 2016

कैसे समझाएं..........













जब वो पास था
तो दूर - दूर से थे हम।
कैसे समझाएं की तब 
खुद से ही कितने दूर थी हम।

अब जब पास है हम
तो दूर - दूर सा है वो।
कैसे समझाएं की
वक़त लगता है सही वक़त को भी।

इलज़ाम है मुझ पर की मैं बिखरी सी हूँ
खुद जो वो तन्हां है
उसका क्या।

नज़र भर जब देखा उसे
तो वो अपना सा लगा।
फिर भी वो पूछता है
क्या हुआ है हमें।

एक नज़र भर देखोगे जिस दिन 
उस दिन जान जाओगे 
क्यों है हम बिखरे से,
खुद से बेगाने से,
और 
क्यों हो तुम भी कुछ तन्हां - तन्हां से
और खुद से ही बहुत बेगाने से।   


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें