शनिवार, 27 अगस्त 2022

नगमा की ज़िन्दगी का नगमा - Part 2

Part - 2: https://tejinderkkaur.blogspot.com/2022/08/hindi-ekkahani.html

भाग दो 


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"समर, बधाई हो, लड़का हुआ है" समर की अम्मी बेटे के गले लग गयी, "तूने मेरी ज़िन्दगी सफल कर दी, अब मैं चैन से मर सकती हूँ".

"हाँ, कब का प्रोग्राम है फिर, आपका जाने का" समर गुस्से में आग-बबूला हो रहा था .

"अरे, तेरा बेटा हुआ है, खुशियां मना, मरने-वरने की बातें मत कर" अम्मी बहुत खुश थी. 

"अम्मी, आपने कहा था सब ठीक हो जायेगा, अब्बा जी दुनिया छोड़ गए, नगमा चली गई, पर आप की ज़िद्द कहीं नहीं गयी, सब का वास्ता दे कर आपने हमेशा मन-मानी करी पर अब नहीं" समर की ऑंखें भर आयी 

"हाय रे, कब छोड़ेगी वो लड़की तेरा पीछा, तूने उसे अपनी शादी के बारे में बताया क्यों नहीं, अब तू उसे जाने दे, अच्छा है चली गई, अपनी बीवी और बच्चे को देख" अम्मी ने समर से कहा .

"अम्मी, बस एक ही तो ज़िद्द थी मेरी, वो भी आपने नहीं मानी, जात-पात के चक्कर में अब देखो, चार ज़िन्दगियाँ खराब कर दी आप सबने ,अब नगमा नहीं है तो मैं भी नहीं हूँ, आपको सब मुबारकें" आँखों में आसूं ले समर वहां से जाने लगा.

"समर जी, बच्चा तो ठीक है पर माँ का खून बहुत बह गया गई, उन्हें खून चढ़ाना होगा, आप में से कौन ब्लड डोनेट कर सकता है" डॉक्टर ने समर का रास्ता रोकते बोला.

समर चुप-चाप डॉक्टर के पीछे चल दिया, 'ज़िम्मेदारियों से अब पीछा छुड़ाना ही होगा, नगमा को वापस लाना होगा, वरना, मुझे दुनिया  ही छोड़ जाना होगा'.


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"रेखा, नगमा कहाँ है, एक बार, बस एक बार बता दो" समर ने सबसे पहले रेखा को ही फ़ोन किया. 

"समर, उसने मुझे, तुमसे बात करने के लिए मना किया है, in fact वो किसी से भी बात नहीं कर रही, मैं मजबूर हूँ, तुमसे पहले वो है, मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती, पता नहीं और कितनी ज़िंदगियाँ झुलसेगीं तुम दोनों के बीच" रेखा ने फ़ोन बंध कर दिया.

"सबा, फ़ोन मत काटना, एक बार, बस एक बार नगमा से बात करवा दो" समर ने नगमा की बहन सबा को फ़ोन पर बोला. 

सबा ने कुछ बोले बिना, फ़ोन अम्मी को दे दिया, "कौन है, किसका फ़ोन है" !

"अम्मी, मैं समर, क्या मैं नगमा से बात कर सकता हूँ" समर ने बोला.

"बेटा, देखो अब नहीं, अब छोड़ दो उसे, पिछले साल, तुम्हारी अम्मी ने जब हमे घर से जलील कर निकाला था तो, तभी मैंने नगमा से कहा था, की ये सब ठीक नहीं, तुम्हें भूल जाये वो, अब नहीं, अब उसका निकाह है आज, तो अब हमारी इज़्ज़त मत उछलना" अम्मी ने बोल कर फ़ोन सबा को वापिस दे दिया. 

"शादी की मिठाई भिजवा दूँ, या तुम्हारे लड़का हुआ है, तो मिठाई-मिठाई cancel कर दें, मैंने नगमा को कई बार बोला था की तुम उसे, पक्का से धोका दोगे, और मैं सही निकली और वो गलत, जाओ बेटा होने की ख़ुशी मनाओ और मेरी बहन को जीने दो .

       


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"नगमा, तीन हफ्ते से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ, कितना मिस किया मैंने तुम्हें, कैसी हो" समर दरगाह के बाहर नगमा को देख उसके सामने जा खड़ा हुआ .

"मैं ठीक हूँ, तुम कैसे हो" नगमा अपने पर काबू करने की पूरी कोशिश कर रही थी, समर, ये वही समर था, जिसके सपने वो दिन-रात देखती थी और उसकी रग-रग में बसा हुआ था और है, पर अब वो किसी और का था, ये सच नगमा को समर से दूर खींच रहा था. 

"नगमा, मुझे पक्का यकीन था की तुम यहाँ ज़रूर आओगी, इसी उम्मीद पर की तुम एक दिन तो आओगी, मैं यही तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था, नगमा क्या तुम्हें एक बार भी मेरी याद नहीं आयी" समर ने सब बोल देना चाहा जो उसके मन में था.

"याद, हाँ मुझे अपने समर की हर बात याद है, पर मुझे तुम्हारी याद नहीं आयी" नगमा की ऑंखें भर आयीं .

"तो फिर, कॉल क्यों नहीं किया, एक बार मुझे सफाई का  मौका तो देती.

"सफाई कोई नहीं है, तुम्हारा अब एक ठिकाना हो गया है, बीवी और बच्चा भी है, तुम अकेले कहाँ हो अब, बहुत सारे लोग हैं तुम्हें चाहने वाले, मेरी चाहत तभी तो भूल गए तुम".

"दुनिया की सब बातें याद रही और मेरा प्यार, मेरे प्यार का क्या, कैसे भूल गयीं तुम मेरा प्यार" समर, नगमा के साथ-साथ चल रहा था .

"एक झूठ की बाढ़ आयी और सारी बातें और प्यार और सारे वादे और सारे सपने सब अपने साथ बहा कर ले गई, अब किसी बात का कोई असर नहीं रहा" नगमा चलती रही, एक बार भी उसने पलट कर समर को नहीं देखा.  

"नगमा, याद है हमने जो घर देखा था, वो मैंने किराये पर ले लिया है, और यही नौकरी भी करता हूँ, चलो नगमा अपने घर चलो, मेरे साथ चलो, अब बस और कुछ नहीं, तुम मेरा प्यार हो, अब हमें कोई अलग नहीं करेगा, मैं सब छोड़ आया हूँ, बस तुम और मैं ही रहेंगें अब. 

चलो, अभी यही शादी कर लेते हैं, और बस हम-तुम साथ रहेंगें, नगमा कुछ तो बोलो" समर ने नगमा का हाथ पकड़ उसे रोकना चाहा. 

"पक्का, अभी, याद कर लो कोई और बहाना अगर याद हो, कहीं आज भी जाना हो, किसीकी तबियत खराब हो, कोई फ़ोन आये और तुम चल दो " नगमा ने समर की देखते बोला.

समर ने अपना मोबाइल नगमा को देते बोला, " नहीं कुछ नहीं, अब कोई हमारे बीच नहीं आएगा .

नगमा और समर ने उसी दिन शादी कर ली और दोनों नगमा के घर की और चल दिए. 

"अम्मी, मैंने शादी कर ली है, समर से" नगमा ने अम्मी के सामने बैठते कहा .

"ठीक ही किया, आओ समर, अच्छा किया तुम दोनों ने शादी कर ली, पिछली बार इसकी शादी वाले दिन लड़के ने ही मना कर दिया, शायद इसीलिए इसकी शादी नहीं हुई क्यूंकि तुम्ही से होनी थी इसकी शादी, अच्छा किया, सबके मुँह पर ताला तो लग जायेगा" अम्मी ने समर से कहा 

"अम्मी, मुझे माफ़ कर दो, मुझे ये पहले ही कर लेना चाहिए था" समर ने अम्मी से गले मिलते कहा 

"जब जो होना होता है तभी होता, अब बस ख्याल रहे,, अपने फ़रज़ से नहीं भागना, तुम दोनों ने बहुत भागम-भाग कर ली अब, अब बस एक साथ रहना और खुश रहना, नगमा, तूने भी अपने मन की कर ही ली अब, अब बस दोनों अपना - अपना फ़रज़ निभाना, खुश रहो बस" अम्मी बोल कर चाय नाश्ता लेने चली गई .


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दोनों अपने घर आ गए, नगमा ने समर का फ़ोन देते कहा, "लो, अब बताओ आगे क्या, अपनी अम्मी से क्या कहोगे".

"नगमा, अब कुछ नहीं, अब तक मैंने उनकी की सुनी, अब बस अपने मन की सुनुँगा, तुम बस अब ये सब छोड़ दो, उनको जब बताना होगा बता देंगें, अब बस मिल कर अपना घर बनाते है, वो सारे सपने पूरे करने की कोशिश में लग जाते हैं जो हमने देखे थे, और बस कुछ नहीं" समर ने नगमा को घर की चाबी देते कहा, लो अपना घर सम्भालो अब".

नगमा को पता था की जिस तरहां समर ने उस से बात छुपाई उसी तरहां वो अपनी अम्मी से ये बात छुपा कर ही रखेगा, पर नगमा को सब मंज़ूर था, उसकी ज़िन्दगी का मकसद पूरा हो गया था, समर उसका प्यार ही नहीं, उसकी नसों में दौड़ता खून था, और अपने से कोई नफरत कैसे कर सकता है, अपनी गलती किसे नज़र आती है, अपने को तो हम बस हालात का मारा ही समझते हैं, और अपनी हर गलती हमें हालात की मजबूरी लगती हैं और यही कारण है की हम ज़िंदा हैं, वरना मरना तो आसान ही है, पर अपने जो हमें प्यार होता है, वो हमें मरने नहीं देता. 


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