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"नगमा, नगमा, चलो यहाँ से, चलो न" रेखा नगमा को खींचते हुए ले गयी .
"रेखा, कैसे कर सकता है वो, अभी पिछले महीने ही मिला था, बोल रहा था की बस दो-तीन महीने में ही शादी कर लेंगें, और अब ये, ये ...... कौनसी बीवी है उसकी जो उसके बच्चे की माँ बनने वाली है".
रेखा चुप कर नगमा की बातें सुन रही थी .
"दस साल से मैं उसके साथ के सपने देख रही हूँ और वो किसी और के सपने सजा रहा था".
रेखा चुप कर बैठी रही, 'शायद बोलने से बात बिगड़ जाये, सो चुप रहना ही ठीक है' .
"पिछले साल बोल रहा था, उसके अब्बा जी बीमार हैं, तो शादी की बात नहीं कर सकते, उस से पहले साल अम्मी बीमार थी, कोई बीमार नहीं था, अपनी शादी की तैयारियां कर रहा था, सो उसके बाद टाइम नहीं था, और मैं सोचती रही वो सब ठीक कर देगा".
नगमा बोलती ही जा रही थी, उसकी आंख से एक भी आसूं न बहा, इतने में उसके मोबाइल की घंटी बजी, रेखा ने नगमा के हाथ से मोबाइल ले लिया,"समर अभी नहीं, बाद में बात करें क्या" रेखा ने मोबाइल उठाते बोला .
नगमा ने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया, "कैसे हो समर".
"मैं ठीक हूँ, तुम इस वक़त रेखा के साथ क्या कर रही हो, घर क्यों नहीं गयी" समर ने नगमा से पुछा.
'लगता है इसे कुछ पता नहीं चला अभी' नगमा मन ही मन सोच रही थी,"बस जा ही रही थी, थोड़ा काम आ गया था, तुम बताओ, कैसे हो, कहाँ हो अभी, क्या हो रहा है, अम्मी कैसी है अब, उनका बुखार उत्तर गया क्या".
"अरे,अरे, नगमा, आज क्या हुआ तुम्हें, इतने सारे सवाल क्यों, सब ठीक हैं, अगले हफ्ते छुट्टी ले लो, मिलते हैं, बहुत दिन हुए, काम बहुत था, अगले हफ्ते मिल कर सब बताता हूँ".
"ओह, अच्छा, आज काम ख़तम हो गया क्या, कैसा है काम, रंग-रूप कैसा है काम का, तुम पर है या किसी और पर?" नगमा अपने गुस्से को काबू करने की पूरी कोशिश कर रही थी .
"क्या हो गया है, क्या बोल रही हो, इस सब से क्या मतलब है" समर की आवाज़ में थोड़ी कप-कपी सी महसूस हो रहे थी .
"समर, कितने और सालों तक मुझे पागल बनाने का इरादा है, पिछले दस सालों से पागल ही बना रहे थे क्या, अब समय है फैसले का, मेरे नहीं हो सके तो कम से कम उसके तो हो जाओ, जो तुम्हारे बच्चे माँ बनने वाली है, कौन से हॉस्पिटल में हो, मैं आज ही क्यों गयी तुम्हारे ऑफिस, मेरी गलती है, मुझे तुम्हारे बारे में सबा ने कहा था, पर तुम से ज्यादा मुझे अपने प्यार पर भरोसा था, पर ऐसा क्यों किया तुमने" नगमा ने सब एक सांस में बोल दिया .
"नगमा, मेरी बात सुनो, मेरी गलती है, पर क्या मेरी एक ख़ामी मेरी बरसों की मोह्बत पर हावी हो जाएगी, तुम मेरा प्यार हो, ये मेरी ये सब मेरी ज़िम्मेदारियाँ है" समर को बोलने के लिए लफ्ज़ नहीं मिल रहे थे .
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