शनिवार, 21 जनवरी 2023

बस यूँ ही

बस यूँ ही दिन बीत गए 
बस यूँ ही उम्र बीत गयी 
सोचते कुछ अपना 
ये सोचने का भी समय न मिला 

अब, जब
उम्र नज़र आने लगी है 
तो अपनी कहानी 
अपने चेहरे की लकीरों में 
पढ़ लेते है


 आइना भी कुछ बेगाना सा हो गया है 
मुझे न देख 
बस मेरी लकीरों को 
ही गिनता रहता है  




 

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