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मंगलवार, 9 सितंबर 2025

अजीब-सी उलझन


एक अजीब-सी उलझन है,
क्या मैं खुद से अनजान हूँ
या अनजान हैं सब मुझसे?
 
एक अजीब-सा ख़याल है,
कि मैं नाराज़ हूँ खुद से
या सब नाराज़ हैं मुझसे?
 
एक अजीब-सा एहसास है,
कि मैं खुद से तन्हा हूँ
या किसी की बेरुखी
सबसे तन्हा कर गयी मुझे

कि मैं खुद से तन्हा हूँ या किसी की बेरुख़ी मुझे सबसे तन्हा कर गई है?

सोमवार, 4 अगस्त 2025

हम भी क्या दीवाने रहे

 


तुमसे ख़फ़ा होकर,
तुमसे ही दूर होकर,
तुम्हें ही दर-ओ-दीवार में ढूँढते रहे,
हम भी क्या खूब दीवाने रहे





सोमवार, 21 जुलाई 2025

अजीब सुकून है


जिसकी ख़ामोशी कभी देती थी इक अजीब सा दर्द,
अब उसी ख़ामोशी में दिल को सुकून मिलता है

कभी जिन नज़रों की तलब में आँखें भीग जाती थीं,
अब उसी नज़र के ख़याल से ही जी बहलता है

अजीब सुकून है इस बेआरामी की चादर में,
कि अब तो आराम भी, बेआराम सा लगता है



सोमवार, 10 मार्च 2025

ज़िंदा - ज़िंदा सा


अपनी खुशबु से महका दो मुझको 

कि आज कुछ होश-होश सा लग रहा है मुझको 

एक बार फिर अपने प्यार में डूबा दो मुझको 

कि ना जाने क्यूँ खुद से ही बेगाना सा लग रहा है मुझको 

बस आज अपने प्यार से दीवाना बना दो मुझको 

की ना जाने क्यों तन्हां-तन्हां सा लग रहा है मुझको

बस आज मुझको, मुझ से ही चुरा लो 

की ना जाने क्यों ज़िंदा - ज़िंदा सा लग रहा है मुझको

#hindiblog
#kahaanikaar

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

बस इतना सा ही जहां होता


एक नज़र का ख़्वाब होता,
कोई मीठा सा हिसाब होता,
तेरी बाहों में सिमट जाती मैं,
या फिर कोई नया ख्वाब होता।

रास्ते चुपचाप चलते,
हम कहीं दूर तक चलते,
ना कोई मंज़िल की फ़िक्र होती,
ना कोई डर साथ पलते।

बादलों से गुफ़्तगू करते,
चाँद की चुप्पी को पढ़ते,
सांसों की धड़कनें सुनते,
ख़ामोशी में लफ़्ज़ बुनते।

पर ये दुनिया रोक देती है,
हर कदम पे टोक देती है,
कभी रिवाज़ों की ज़ंजीरें,
कभी रस्मों की दीवारें खींच देती हैं।

फिर भी सोचती हूं हर पल,
अगर ये सब ना होता,
एक मैं और एक तुम,
बस इतना सा ही जहां होता

 : इतना सा जहां :
 

शनिवार, 21 जनवरी 2023

बस यूँ ही

बस यूँ ही दिन बीत गए 
बस यूँ ही उम्र बीत गयी 
सोचते कुछ अपना 
ये सोचने का भी समय न मिला 

अब, जब
उम्र नज़र आने लगी है 
तो अपनी कहानी 
अपने चेहरे की लकीरों में 
पढ़ लेते है


 आइना भी कुछ बेगाना सा हो गया है 
मुझे न देख 
बस मेरी लकीरों को 
ही गिनता रहता है  




 

शनिवार, 26 नवंबर 2022

बस लिख देते हैं

 

जो कह नहीं सकते, वो लिख देते हैं

जो समझा नहीं सकते, वो लिख लेते हैं

जो कहा नहीं जाता वो भी, बस लिख देते हैं

शब्दों से शब्द जुड़ते जाते है,

और हम बस लिख देते हैं .....



शनिवार, 8 अक्टूबर 2022

कुछ बातें


दर्द सा होता था जिसकी ख़ामोशी से कभी

अब उसकी, उसी ख़ामोशी से दिल बहल जाता है 

तरसती रही ऑंखें उसकी एक नज़र के लिए 

अब उसीकी एक नज़र का,  ख्याल ही बहला देता है हमको 

बड़ा सुकून मिलता है बे आराम सा रहने में अब

की आराम भी, बे-आराम सा लगने लगा है




शनिवार, 3 सितंबर 2022

दिल की थोड़ी और


'आज और अभी, क्या हो रहा है, क्यों है इतना मुश्किल जीना, अभी, इस लम्हें में रहना और भी मुश्किल है, क्यों है ऐसा, एक काम करो तो दूसरा याद आ जाता है, और दूसरा काम करूँ तो पहला वाला अधूरा रह जाता है, अभी वाले लम्हें से आने वाले लम्हें की फ़िक्र क्यों रहती है, सोचती हूँ तो लगता है एकाग्रता की कमी है, थोड़ा Meditation करना होगा, मन को एकाग्र करने के लिए ........


और ...........


ये है क्या, बस प्रेम ही तो है, कोई अपना हो न हो पर प्रेम का एहसास ....... प्रेम का एहसास कभी नहीं छोड़ता, थोड़ी देर के लिए कभी-कभी दुनियादारी में कहीं भटक जाता है, पर फिर लौट आता है, बस ज़रा सी दस्तक और एहसास बस उछलने और मचलने लग जाते है, कोई अपना हो न हो, पर एहसास उसके आने के एहसास से ही मचलने लग जाते है, आने वाले पलों में बिखरने वाली महक से ही महकने लग जाता है, अजब है प्रेम की कहानी  ........ शायद इसे ही Sel Love कहते हैं, और अगर खुद से इतना प्यार है तो किसी और के होने का एहसास क्यों रहता है .........


और...........


 अब ये उम्र, न जाने कहाँ जाने की जल्दी है इससे, बस बढ़ती ही जा रही है, कहाँ जाना है ? कौन है जो तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है ? ठहरो, रुको, देखो तो सही, कितना हसीं है मौसम यहाँ का, ये नज़ारें और ये फ़िज़ाएं, सोचो क्या जल्दी है इनको छोड़ जाने की, ठहर तो सही उम्र, अभी कुछ और कहानियां लिखे देने दे, अभी कुछ और किस्सों से जुड़ जाने दे, अभी किसी की परछाइयों में छुपना बाकी है, अभी रोम-रोम में थोड़ी और कहानियां लिखनी हैं, अभी किसी की महक से और महकना है......


उम्र बढ़ने पर होने वाले एहसास हैं ये सब, जब दिल के अरमान तो हैं पर, अरमानो की कोई तस्वीर नहीं बन पाती, गए हुए दिनों फिर से जीने का एहसास, आने वाले दिनों का डर बढ़ाता रहता है

अगले-पिछले जन्मो का नहीं पता पर अब लगता है, कम से कम पता होता दो जन्म मिलेंगें, तो उस 2nd chance के सहारे, हर गलती कर के देख लेते, दिल की थोड़ी और सुन लेते !


#hindiblog
#hindi

शनिवार, 13 अगस्त 2022

बस वही - एक एहसास - सुरूर पुराने गानो का !

💮🥀 💮🥀 💮🥀 💮🥀 

 वो शाम भी कुछ अजीब थी
ये शाम भी कुछ अजीब है 
जहाँ पहली बार मिले थे हम
जिस जगह से संग चले थे हम 
ये रहें याद करती है
ये गुलशन याद करता है
बेदर्दी बालमा तुझको 
मेरा मन याद करता है 


आवाज़ दे कर हमें तुम बुलाओ 
मोहबत में इतना न हमको सताओ 
आजा तेरी याद आयी 
ओ बालम हरजाई 
के आजा तेरी याद आयी 
आवाज़ दे कर हमें तुम बुलाओ 
मोहबत में इतना न हमको सताओ 
विरहा की इस चिता से 
तुम ही मुझे निकालो
जो तुम न आ सको
मुझे स्वपन में बुला लो 


मैं मन को लाख मनाऊ
माने ना मन मतवाला
अब आके तुम्हीं समझाओ
मैने अब तक बहुत संभाला 
आजा तेरी याद आयी 
ओ बालम हरजाई 
जहाँ तू है, वहां मैं हूँ
मेरे दिल की तू धड़कन है 
मुसाफिर मैं तू मंज़िल है 

वो शाम भी कुछ अजीब थी 
ये शाम भी कुछ अजीब है 

💮🥀 💮🥀 💮🥀 💮🥀 

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#हिन्दीकहानी

रविवार, 1 मई 2022

वो जो हम थे



वो जो हम थे 
याद है मुझे 
वो जो हम थे 

कुछ अजीब से दीवाने थे 
कुछ और ही तरहं के थे हम 
दुनिया में रह कर भी 
दुनिया के कहाँ थे हम 
हम, तुम में कुछ ऐसे खोये थे 
की तुम बिन कुछ नज़र में 
कहाँ था हमें

पर जब हम जहाँ के हो गए 
हम, कहाँ रहे हम अब 
हालत के परवान चढ़ गए हम
तुम चल दिए
अपनी दुनिया खोजने 
और हम 
तुम्हारा अक्स खोजते 
न जाने किस जहाँ के हो गए 

वो जो हम थे 
बस याद ही बन कर 
रह गए अब 

#hindi #hindikavita #hindpoem

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

तेरा एहसास


दर्द सा होता था जिसकी खामोशी से कभी, 
  अब उसकी उसी खामोशी से दिल बहल जाता है 
तरसती रही आँखें उसकी एक नज़र के लिये,
  अब उसकी एक नज़र का ख़याल ही बहला देता है हमको
बड़ा सुकून मिलता है बे-आराम सा रहने में अब,
   की आराम भी बे-आराम सा लगने लगा है अब 
                

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022