मूल मंत्र, जिसे मुल मंत्र के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म में एक मौलिक और महत्वपूर्ण मंत्र है। इसे सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक द्वारा रचित किया गया था और यह सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के शुरुआत में प्रकट होता है। यह मंत्र सिख धर्म के मुख्य विश्वासों और दर्शन को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।
1. Ik Onkar (ੴ):
- Ik का अर्थ है "एक।"
 - Onkar का अर्थ है "सर्वोच्च वास्तविकता"
     या
     "भगवान।"
 - मिलाकर, "Ik Onkar" का अर्थ है कि केवल एक ही भगवान है, एक सर्वोच्च वास्तविकता।
 
2. Sat Naam (ਸਤਿ ਨਾਮੁ):
- Sat का अर्थ है "सत्य।"
 - Naam का अर्थ है "नाम।"
 - "Sat Naam" का अर्थ है कि भगवान का नाम सत्य है। सत्य भगवान की पहचान का सार है।
 
3. Karta Purakh (ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ):
- Karta का अर्थ है "सृजनहार।"
 - Purakh का अर्थ है "सत्ता" या
     "अस्तित्व।"
 - "Karta Purakh" का अर्थ है कि भगवान सृजनहार हैं और ब्रह्मांड में एक सक्रिय, रचनात्मक शक्ति हैं।
 
4. Nirbhao (ਨਿਰਭਉ):
- Nir का अर्थ है "बिना।"
 - Bhao का अर्थ है "डर।"
 - "Nirbhao" का अर्थ है कि भगवान बिना डर के हैं।
 
5. Nirvair (ਨਿਰਵੈਰੁ):
- Nir का अर्थ है "बिना।"
 - Vair का अर्थ है "द्वेष" या
     "दुश्मनी।"
 - "Nirvair" का अर्थ है कि भगवान बिना द्वेष या दुश्मनी के हैं।
 
6. Akal Moorat (ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ):
- Akal का अर्थ है "कालातीत।"
 - Moorat का अर्थ है "रूप।"
 - "Akal Moorat" का अर्थ है कि भगवान समय से परे और शाश्वत हैं।
 
7. Ajooni (ਅਜੂਨੀ):
- A का अर्थ है "नहीं।"
 - Jooni का अर्थ है "जन्मा" या
     "जन्म और मृत्यु का चक्र।"
 - "Ajooni" का अर्थ है कि भगवान जन्म नहीं लेते और जन्म और मृत्यु के चक्र में नहीं आते।
 
8. Saibhang (ਸੈਭੰ):
- Sai का अर्थ है "स्व।"
 - Bhang का अर्थ है "अस्तित्व।"
 - "Saibhang" का अर्थ है कि भगवान स्वयं-अस्तित्व हैं, अपने आप में अस्तित्व रखते हैं और किसी और पर निर्भर नहीं हैं।
 
9. Gur Prasad (ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ):
- Gur का अर्थ है "गुरु" या
     "शिक्षक।"
 - Prasad का अर्थ है "कृपा।"
 - "Gur Prasad" का अर्थ है कि यह समझ गुरु की कृपा से प्राप्त होती है।
 
मूल मंत्र सिख धर्मशास्त्र का एक संक्षिप्त वक्तव्य है, जो सिख धर्म में समझे जाने वाले ईश्वरीय स्वरूप और आध्यात्मिक सत्य के सार को व्यक्त करता है। यह विश्वास के केंद्रीय सिद्धांतों की याद दिलाता है और अक्सर सिखों द्वारा ध्यान और चिंतन के रूप में पढ़ा जाता है।

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