शबद : नानक चिंता मत करहु
राग :रामकली
गुरु अंगद देव जी द्वारा लिखित और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 955 पर है। यह शबद आत्मविश्वास और शक्ति देता है और संदेह और भय को दूर करता है। इसके प्रभावों का अनुभव करने के लिए इस शबद का ध्यान करें या दिन में 11 बार इसका पाठ करें।
ਨਾਨਕ ਚਿੰਤਾ ਮਤਿ ਕਰਹੁ ਚਿੰਤਾ ਤਿਸ ਹੀ ਹੇਇ ॥
ਜਲ ਮਹਿ ਜੰਤ ਉਪਾਇਅਨੁ ਤਿਨਾ ਭਿ ਰੋਜੀ ਦੇਇ ॥
ਓਥੈ ਹਟੁ ਨ ਚਲਈ ਨਾ ਕੋ ਕਿਰਸ ਕਰੇਇ ॥
ਸਉਦਾ ਮੂਲਿ ਨ ਹੋਵਈ ਨਾ ਕੋ ਲਏ ਨ ਦੇਇ ॥
ਜੀਆ ਕਾ ਆਹਾਰੁ ਜੀਅ ਖਾਣਾ ਏਹੁ ਕਰੇਇ ॥
ਵਿਚਿ ਉਪਾਏ ਸਾਇਰਾ ਤਿਨਾ ਭਿ ਸਾਰ ਕਰੇਇ ॥
ਨਾਨਕ ਚਿੰਤਾ ਮਤ ਕਰਹੁ ਚਿੰਤਾ ਤਿਸ ਹੀ ਹੇਇ ॥੧॥
Don't worry, Nanak; the Lord will take care of you.
He created the creatures in water and provides them with sustenance.
There are no shops open, and no one farms there.
No business is ever conducted there, and no one buys or sells.
Animals consume other animals because that is what the Lord has given them as sustenance.
He formed them in the waters and continues to provide for them.
Don't worry, Nanak; the Lord will take care of you. ||1||
नानक चिंता मत करहु चिंता तिस ही है।
"हे
नानक, चिंता मत करो; ईश्वर
सभी चिंताओं का ख्याल रख
रहे हैं।"
जल में जंत उपाईअन तिना भी रोज़ी दे-ए।
जल में ईश्वर ने जीवों को पैदा किया है, और वह उनकी रोज़ी (जीविका) भी देता है।
ओथै हाट न चलेई ना को किरास कर-ए।
वहां कोई बाजार नहीं चलता, और न ही कोई खेती करता है।
सौदा मूल न होवई ना को लेए ना दे-ए।
वहां कोई सौदा (व्यापार) नहीं होता, न कोई लेता है और न कोई देता है।
जीआ का आहार जीआ खाना एहु कर-ए।
जीवों के आहार जीव ही हैं, और वे यही करते हैं।
विच उपाए साईरा तिना भी सार कर-ए।
ईश्वर ने संसार के अंदर विभिन्न जीवों को उत्पन्न किया है, और वह उनकी देखभाल भी करता है।
नानक चिंता मत करहु चिंता तिस ही है।
हे नानक, चिंता मत करो, क्योंकि चिंता केवल उसे (ईश्वर) को है।
यह श्लोक गुरु ग्रंथ साहिब से लिया गया है और इसमें गुरु नानक देव जी समझा रहे हैं कि चिंता करना व्यर्थ है। ईश्वर ने सभी जीवों की रचना की है और उन्हें उनका भोजन और रोजी भी प्रदान की है। पानी में रहने वाले छोटे-छोटे जीवों से लेकर बड़े जीवों तक, सभी को ईश्वर ने उनकी आवश्यकताएं दी हैं। हमें अपनी चिंता ईश्वर पर छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि वही सबकी जरूरतों का ख्याल रखते हैं।