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शनिवार, 10 अगस्त 2024

श्लोक - भगवद गीता

 यह श्लोक भगवद गीता के अध्याय 4 के श्लोक 7 और 8 से है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने दिव्य अवतारों (अवतारों) के उद्देश्य को समझाते हैं। यहां दोनों श्लोकों का अर्थ दिया गया है:

श्लोक 4.7:

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

Yadā yadā hi dharmasya glānir bhavati Bhārata,
Abhyutthānam adharmasya tadātmānam sṛjāmyaham.

अनुवाद: "हे भ्राता (अर्जुन), जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म का प्राबल्य होता है, तब-तब मैं स्वयं को पृथ्वी पर अवतरित करता हूँ।"

श्लोक 4.8:

परित्राणाय साधूनां विनाशाय दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
Paritrāṇāya sādhūnāṁ vināśhāya cha duṣhkṛitām,

Dharmasaṁsthāpanārthāya sambhavāmi yuge yuge

अनुवाद: "साधुओं की रक्षा के लिए, दुष्टों का विनाश करने के लिए, और धर्म की स्थापना के लिए, मैं युग-युग में अवतरित होता हूँ।"

पूर्ण अनुवाद: "सज्जनों की रक्षा, दुष्टों का नाश, और धर्म की स्थापना के लिए, मैं प्रत्येक युग में अवतरित होता हूँ।"

समग्र व्याख्या:

इन श्लोकों में भगवान श्रीकृष्ण अपने दिव्य अवतारों के कारणों को बताते हैं। वह अर्जुन से कहते हैं कि जब भी धर्म का पतन होता है और अधर्म का बोलबाला होता है, तो वे पृथ्वी पर एक भौतिक रूप में अवतरित होते हैं। उनके अवतार का मुख्य उद्देश्य सज्जनों की रक्षा करना, दुष्टों का विनाश करना, और पृथ्वी पर धर्म के संतुलन को पुनर्स्थापित करना होता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है और हर युग में आवश्यकतानुसार होती रहती है।



शनिवार, 22 जून 2024

मुल मंत्र - Ik Onkar (ੴ):

मूल मंत्र, जिसे मुल मंत्र के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म में एक मौलिक और महत्वपूर्ण मंत्र है। इसे सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक द्वारा रचित किया गया था और यह सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के शुरुआत में प्रकट होता है। यह मंत्र सिख धर्म के मुख्य विश्वासों और दर्शन को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।

1. Ik Onkar ():

  • Ik का अर्थ है "एक।"
  • Onkar का अर्थ है "सर्वोच्च वास्तविकता" या "भगवान।"
  • मिलाकर, "Ik Onkar" का अर्थ है कि केवल एक ही भगवान है, एक सर्वोच्च वास्तविकता।

2. Sat Naam (ਸਤਿ ਨਾਮੁ):

  • Sat का अर्थ है "सत्य।"
  • Naam का अर्थ है "नाम।"
  • "Sat Naam" का अर्थ है कि भगवान का नाम सत्य है। सत्य भगवान की पहचान का सार है।

3. Karta Purakh (ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ):

  • Karta का अर्थ है "सृजनहार।"
  • Purakh का अर्थ है "सत्ता" या "अस्तित्व।"
  • "Karta Purakh" का अर्थ है कि भगवान सृजनहार हैं और ब्रह्मांड में एक सक्रिय, रचनात्मक शक्ति हैं।

4. Nirbhao (ਨਿਰਭਉ):

  • Nir का अर्थ है "बिना।"
  • Bhao का अर्थ है "डर।"
  • "Nirbhao" का अर्थ है कि भगवान बिना डर के हैं।

5. Nirvair (ਨਿਰਵੈਰੁ):

  • Nir का अर्थ है "बिना।"
  • Vair का अर्थ है "द्वेष" या "दुश्मनी।"
  • "Nirvair" का अर्थ है कि भगवान बिना द्वेष या दुश्मनी के हैं।

6. Akal Moorat (ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ):

  • Akal का अर्थ है "कालातीत।"
  • Moorat का अर्थ है "रूप।"
  • "Akal Moorat" का अर्थ है कि भगवान समय से परे और शाश्वत हैं।

7. Ajooni (ਅਜੂਨੀ):

  • A का अर्थ है "नहीं।"
  • Jooni का अर्थ है "जन्मा" या "जन्म और मृत्यु का चक्र।"
  • "Ajooni" का अर्थ है कि भगवान जन्म नहीं लेते और जन्म और मृत्यु के चक्र में नहीं आते।

8. Saibhang (ਸੈਭੰ):

  • Sai का अर्थ है "स्व।"
  • Bhang का अर्थ है "अस्तित्व।"
  • "Saibhang" का अर्थ है कि भगवान स्वयं-अस्तित्व हैं, अपने आप में अस्तित्व रखते हैं और किसी और पर निर्भर नहीं हैं।

9. Gur Prasad (ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ):

  • Gur का अर्थ है "गुरु" या "शिक्षक।"
  • Prasad का अर्थ है "कृपा।"
  • "Gur Prasad" का अर्थ है कि यह समझ गुरु की कृपा से प्राप्त होती है।

मूल मंत्र सिख धर्मशास्त्र का एक संक्षिप्त वक्तव्य है, जो सिख धर्म में समझे जाने वाले ईश्वरीय स्वरूप और आध्यात्मिक सत्य के सार को व्यक्त करता है। यह विश्वास के केंद्रीय सिद्धांतों की याद दिलाता है और अक्सर सिखों द्वारा ध्यान और चिंतन के रूप में पढ़ा जाता है।

#Gurbani #moolmantra #Nanakvichar

शनिवार, 8 जून 2024

गुरुबाणी शबद आत्मविश्वास और शक्ति देता है

 शबद : नानक चिंता मत करहु

राग :रामकली

 


गुरु अंगद देव जी द्वारा लिखित और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 955 पर है। यह शबद आत्मविश्वास और शक्ति देता है और संदेह और भय को दूर करता है। इसके प्रभावों का अनुभव करने के लिए इस शबद का ध्यान करें या दिन में 11 बार इसका पाठ करें।

 

ਨਾਨਕ ਚਿੰਤਾ ਮਤਿ ਕਰਹੁ ਚਿੰਤਾ ਤਿਸ ਹੀ ਹੇਇ ॥

ਜਲ ਮਹਿ ਜੰਤ ਉਪਾਇਅਨੁ ਤਿਨਾ ਭਿ ਰੋਜੀ ਦੇਇ ॥

ਓਥੈ ਹਟੁ ਨ ਚਲਈ ਨਾ ਕੋ ਕਿਰਸ ਕਰੇਇ ॥

ਸਉਦਾ ਮੂਲਿ ਨ ਹੋਵਈ ਨਾ ਕੋ ਲਏ ਨ ਦੇਇ ॥

ਜੀਆ ਕਾ ਆਹਾਰੁ ਜੀਅ ਖਾਣਾ ਏਹੁ ਕਰੇਇ ॥

ਵਿਚਿ ਉਪਾਏ ਸਾਇਰਾ ਤਿਨਾ ਭਿ ਸਾਰ ਕਰੇਇ ॥

ਨਾਨਕ ਚਿੰਤਾ ਮਤ ਕਰਹੁ ਚਿੰਤਾ ਤਿਸ ਹੀ ਹੇਇ ॥੧॥

 

Don't worry, Nanak; the Lord will take care of you.

He created the creatures in water and provides them with sustenance.

There are no shops open, and no one farms there.

No business is ever conducted there, and no one buys or sells.

Animals consume other animals because that is what the Lord has given them as sustenance.

He formed them in the waters and continues to provide for them.

Don't worry, Nanak; the Lord will take care of you. ||1||

 

नानक चिंता मत करहु चिंता तिस ही है।

"हे नानक, चिंता मत करो; ईश्वर सभी चिंताओं का ख्याल रख रहे हैं।"

जल में जंत उपाईअन तिना भी रोज़ी दे-ए।

जल में ईश्वर ने जीवों को पैदा किया है, और वह उनकी रोज़ी (जीविका) भी देता है।

ओथै हाट न चलेई ना को किरास कर-ए।

वहां कोई बाजार नहीं चलता, और न ही कोई खेती करता है।

सौदा मूल न होवई ना को लेए ना दे-ए।

वहां कोई सौदा (व्यापार) नहीं होता, न कोई लेता है और न कोई देता है।

जीआ का आहार जीआ खाना एहु कर-ए।

जीवों के आहार जीव ही हैं, और वे यही करते हैं।

विच उपाए साईरा तिना भी सार कर-ए।

ईश्वर ने संसार के अंदर विभिन्न जीवों को उत्पन्न किया है, और वह उनकी देखभाल भी करता है।

नानक चिंता मत करहु चिंता तिस ही है।

हे नानक, चिंता मत करो, क्योंकि चिंता केवल उसे (ईश्वर) को है।

 

यह श्लोक गुरु ग्रंथ साहिब से लिया गया है और इसमें गुरु नानक देव जी समझा रहे हैं कि चिंता करना व्यर्थ है। ईश्वर ने सभी जीवों की रचना की है और उन्हें उनका भोजन और रोजी भी प्रदान की है। पानी में रहने वाले छोटे-छोटे जीवों से लेकर बड़े जीवों तक, सभी को ईश्वर ने उनकी आवश्यकताएं दी हैं। हमें अपनी चिंता ईश्वर पर छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि वही सबकी जरूरतों का ख्याल रखते हैं।