आज भी हर दर्द की कहानी
की मुख्या पात्रा हूँ मै।
आज भी हर इलज़ाम
का निशाना हूँ मै।
आज भी हर दुःख
की धर्ता हूँ मैं
आज भी हर किसी
की नज़र मै गलत हूँ मै।
आज भी नज़रों में बसे शैतान
के लिए भूक हूँ मै।
आज भी बस एक
मौज हूँ मै।
और बस सबके लिए
बस शारीर हूँ मै..
कौन हूँ मै...
बस एक जिंदा सांसे लेती
लाश हूँ मै...
पुरानी दूकान के कौने में पड़ी
आँखें झपकाती गुडिया हूँ मै..
बस सांसे लेती जिंदा लाश हूँ मै....
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