मेरी आँखों में थी तस्वीर तुम्हारी
क्या दिखती है अब भी तुमको
की आँखों की रौशनी के साथ वो भी धुंधला गई
तुम्हारे ख्यालों में मेनका थी मैं
रंगों से भरी थी तुमने मेरी काया
क्या एहसास है तुमको
की उम्र की लकीरों में एहसास भी उलझ गए कहीं
रंगों से भरी थी तुमने मेरी काया
क्या एहसास है तुमको
की उम्र की लकीरों में एहसास भी उलझ गए कहीं
जुल्फों की खुशबु से महकते थे जज़्बात
क्या कुछ गरमाहट बाकी है वो अभी
की उम्र के ढलते
ढल गए वो भी
जवान थे हम भी कभी
बाहों के अघोष में छुपे रहते थे
कुछ अभी भी छुपा है क्या कहीं
की सब बाज़ार में सज़ा दिया
क्या ज़िन्दगी याद है
की ज़िंदा रहने की होड़ में
बस ज़िंदा ही हो तुम
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