सोमवार, 15 नवंबर 2021

कहानी मैसूर पाक की ... Mysor Pak

 


 मिठाई की दूकान में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है, की स्वर्ग अगर है तो ऐसी खुशबु से ही भरा होगा । रंग फूलों से चुरा कर और चाँद से रंगत चुरा कर जो मिठाई बनाते हैं वो लोग कैसी सोच वाले होंगें। शायद मीठा सोचने वाले, मीठा बोलने वाले ही होंगें। पर जो मिठाई बनाता है उसे ही पता होता है की कितना मुश्किल होता है मीठे को हर दिन वैसा ही मीठा रखना, मिठाई के आकर को एक सा रखना, मिठाई के रंग और स्वाद को एक सा बनाये रखना। कितनी मेहनत लगती है और कितना धर्ये रखना पड़ता है। 

मिठाई खाने पर ऐसा लगता है, कैसे ये सब सोच लेते है, मिठाई बनाने के लिए, मिठाई का आकर कैसे तय करते होंगें, कितनी बार बना कर देखते होंगें की ऐसी बने या वैसी बने। एक मिठाई न जाने कितने दिनों और कितने सालों की मेहनत का नतीजा होती होगी।   

एक मिठाई ऐसी भी है जो गलती या जल्द-बाज़ी में बनी एक मिठाई है जो कह सकते हैं की गलती से बन गयी पर फिर भी देश ही नहीं विदेश में प्रसिद्ध हो गयी। वह मिठाई है 'मैसूर पाक'।  कर्नाटका के मैसूर में बनी ये मिठाई वहां के राजा के लिए गलती से बनी एक मिठाई है, जिसके पीछे कथा है की :

सत्तरवीं या अठारवीं शताब्दी में मैसूर में एक राजा थे, जिनका नाम था 'कृष्ण राजा वाडियार' , वह खाने के बड़े शौकीन थे। खाने में बहुत से व्यंजनों का होना और थाली का सज़ा होना उन्हें बहुत पसंद था। एक दिन जब राजा के शाही रसोइये जिनका नाम 'काकासुर मडप्पा', राजा के लिए खाना बना रहे थे तो, परोसते समय थाली में एक कटोरी खाली देख कर उन्हें याद आया की वह मीठा बनाना तो भूल गए, और समय भी नहीं था की कुछ मीठा बनाया जाये, क्यूंकि राजा के खाने का वक़त हो गया था। ऐसे में 'काकासुर मडपा' ने जल्दी से भुने हुए बेसन, घी और चीनी से घोल तैयार किया और उसे मीठे वाली कटोरी में डाल कर राजा को परोस दिया। राजा ने जब खाने के बाद मीठा खाया तो उन्होंने एक कटोरी और मीठे की फरमाईश कर दी। मीठा खाने पर राजा ने तुरंत शाही रसोईये को हाज़िर होने का फरमान जारी कर दिया। राजा ने शाही रसोइये से मिठाई का नाम पुछा तो 'काकासुर मडप्पा' सकते में आ गए। कुछ नाम न सूझने पर उन्होंने अपने से ही मिठाई का नाम बता दिया, जो था 'मैसूर पाक'।  'मैसूर' शहर के नाम पर और 'पाक' का मतलब होता है 'मीठा घोल'। 

दरअसल 'काकासुर मडपा' ने जब मिठाई परोसी तो वो गरम होने की वजह से तरल अवस्था में थी, पर राजा के खाना खाने तक 'मैसूर पाक' ठंडी हो कर ठोस हो गयी और मिठाई खाने पर मुँह में घुल सी गई।  राजा को मिठाई बहुत ही पसंद आयी। तभी से 'मैसूर पाक' शाही मिठाई के नाम से ही जानी जाती है। आज भी कर्नाटका में 'मैसूर पाक' शादियों में बनने वाली पारम्परिक मिठाई है।  

भारत जैसे विशाल देश में इतनी लोक कथाएं हैं की उनको एक साथ कर किताब लिखने लगे लो उम्र कम पड़ जाये। 

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