एक अजीब सा रिश्ता है प्रेम से
जब होता है
तो सवालों से उलझा सा देता है
जब नहीं होता
तो भी उसकी
जब सामने होता है
तो बिना बात की
उदासी सी दे देता है
जब दूर होता है तो
मन को काले बादलों सा
घेर लेता है
प्रेम का अपना ही क़ायदा है
पास होता है, तो
जुदा होने की काली छाया
से घेर लेता है
प्रेम का अपना ही क़ायदा है
दूर होता है, तो
तो पास होने की आस में
डूबा सा लेता है
एक अजीब सा रिश्ता है प्रेम का
न दूर जाने देता है
न पास रहने देता है
न कोई पिंजरा है इसका
न कोई कारागार है इसकी
फिर भी बंधन बांधे रखता है
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