रविवार, 13 फ़रवरी 2022

रिश्ता प्रेम से

 
एक अजीब सा रिश्ता है प्रेम से    
जब होता है                       
तो सवालों से उलझा सा देता है  

जब नहीं होता                    
तो भी उसकी                     
ख़ूबसूरती का एहसास होता है          

जब सामने होता है                                               
तो बिना बात की 
उदासी सी दे देता है 

जब दूर होता है तो 
मन को काले बादलों सा 
घेर लेता है 

प्रेम का अपना ही क़ायदा है 
पास होता है, तो 
जुदा होने की काली छाया 
से घेर लेता है 

प्रेम का अपना ही क़ायदा है 
दूर होता है, तो 
तो पास होने की आस में 
डूबा सा लेता है 

एक अजीब सा रिश्ता है प्रेम का 
न दूर जाने देता है 
न पास रहने देता है 
न कोई पिंजरा है इसका 
न कोई कारागार है इसकी 
फिर भी बंधन बांधे रखता है    

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