शनिवार, 19 मार्च 2022

वक़्त लगता है - कुछ पंक्तियाँ




कैसे दिल समझे की,
धड़कन भी उसकी अपनी नहीं है यहाँ
कैसे निगाहें समझे की,
नज़ारे इस जहाँ के पल भर के ही है
कैसे ये उम्र समझे की,
ढल रही है वो भी अब दिन बा दिन
कैसे ये एहसास समझे की,
प्यार को प्यार मिले ज़रूरी नहीं है यहाँ
कैसे खुद् को समझाएं की,
वक़्त लगता है सही वक़्त के लिए भी यहाँ


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