रविवार, 13 मार्च 2022

बस वही - एक एहसास

 

एक और शनिवार की शाम :

Part 1 : https://tejinderkkaur.blogspot.com/2022/02/blog-post_26.html

सुरूर पुराने गानो का ! 

एक शनिवार की शाम और, वही एक एहसास जो मरता नहीं है, ज़रा सा आराम ज़हन को मिलता है और वो उड़ चलता है फिर उसी यादों के शहर की ओर। कितना कुछ है जो आज, अभी, इस वक़्त दुनिया में चल रहा है। कैसे आराम मिले मन को ? कैसे ज़हन से ये सब बातें निकालें।

क्या है जो इंसान हासिल करना चाहता है ?

क्या है जो अहिंसा और प्रेम नहीं जीता जा सकता ?

क्यों अपने को दूसरे से ऊपर साबित करना ?

अपने आप को प्रभावशाली साबित करने में कितनी जाने हम लेने को गलत नहीं समझते है ?

क्या किसकी जान की कोई कीमत ही नहीं है ?

प्यार का समय काम है जहाँ, लड़ते है लोग वहां कैसे..............




पर फिर वही, एक एहसास जो मरता नहीं।  इतना सब कुछ चल रहा है, फिर भी मन, मन तो मन है जो ज़रा सा आँखों आराम मिलते ही उड़ चलता है। उड़ चलता है प्रेम की दुनिया में, प्रीत की बाँहों में। कितने रंजो गम है दुनिया में, और ये दिल एक, दिल तो बस बच्चा है, जहाँ प्रीत मिलती है बस उसी और उड़ चलता। ज़रा सा प्रेम से देखने पर ही पिघल जाता है। हाथ मिलाओ तो गले लग जाता है।  प्रेम और प्रीत का भूखा है बस।  
दिल तो बच्चा है जी, थोड़ा कच्चा है जी ...................




एक एहसास है जो मरता नहीं। एक आदत सी हो गयी है, अपना ही विरोध करना, अपनी ही भावनाओं का विरोध करना, अपनी ही भावनाओं का एक दुसरे से लड़ते रहना। एक मन कहता है छोड़ो सबकी बस अपने मन की सुनो और एक मन कहता है दुनिया में रहना है तो दुनिया की सुननी पड़ेगी। असमंजस में ज़िन्दगी बीत जाती है। हमेशा कहीं दूर चले जाने का मन होता है। बस भाग जाने का मन होता है, पर भाग कर जाना कहाँ है पता ही नहीं। बस यही सोच कर रह जाते हैं की, भागना बेकार है, क्यूंकि किसी और से नहीं खुद से ही भागने का मन है। और खुद से भागना नामुमकिन है। शरीर ख़त्म हो जायेगा पर क्या मन मर जायेगा, क्या पता सच में हो की 'एक दुखी मन से अगर शरीर को त्याग दिया तो, हो सकता है आत्मा अगर अगला शरीर धारण करे तो वही दुखी मन से करे'। सच में, डर दुनिया का नहीं बल्कि डर खुद का है।  





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