शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

तेरा एहसास


दर्द सा होता था जिसकी खामोशी से कभी, 
  अब उसकी उसी खामोशी से दिल बहल जाता है 
तरसती रही आँखें उसकी एक नज़र के लिये,
  अब उसकी एक नज़र का ख़याल ही बहला देता है हमको
बड़ा सुकून मिलता है बे-आराम सा रहने में अब,
   की आराम भी बे-आराम सा लगने लगा है अब 
                

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें