दर्द सा होता था जिसकी खामोशी से कभी,
अब उसकी उसी खामोशी से दिल बहल जाता है
तरसती रही आँखें उसकी एक नज़र के लिये,
अब उसकी एक नज़र का ख़याल ही बहला देता है हमको
बड़ा सुकून मिलता है बे-आराम सा रहने में अब,
की आराम भी बे-आराम सा लगने लगा है अब
'हिंदी कवितायेँ 'और कुछ 'हिंदी कहानियाँ' सपनो में गुज़र रही है ज़िन्दगी, ख्यालो में बना रखा है हमने अपना घर, दिल की बात को शब्दों की माला में पिरोते रहना, बस इतना ही बना रखा है हमने अपना दायरा, जीने के लिए बस जो ज़रूरी है उतने में ही समेट रखा है हमने अपना जहां। 'Hindi Poems' and some 'Hindi Stories'
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