शनिवार, 16 जुलाई 2022

अजीब सा फैसला - Part - 1

 

- 1 - 

"नेहा, ये क्या किया तूने, अब मैं, तेरे ससुराल वालों को क्या जवाब दूंगी, पर, अब वो तेरे ससुराल वाले भी न रहे, तेरी करनी के बाद वो हमसे नाता ही तोड़ लेंगें" नेहा ने जैसे ही माँ को सच बताया माँ समझ न पायी के क्या बोले.

"एक बार मुझसे पूछ तो लेती, तेरे पापा ज़िंदा होते तो सब संभाल लेते, अब मैं ये सब कैसे सम्भालूंगीं, क्या कर दिया नेहा तूने, क्या कमी रह गयी गयी मेरे प्यार में, मेरे प्यार का तूने अच्छा फायदा उठाया, तूने जो बोला मैंने किया, तुझ पर हमेशा विशवास किया, पर इस बदनामी को में कैसे सम्भालूंगी".

"माँ, मैं सब संभाल लुंगी, आप शांत हो जाओ, जो होना था वो हो गया, मैं हूँ न, मैं सब संभाल लूंगीं" नेहा ने माँ को पानी का गिलास देते कहा.


- 2 - 


"नेहा, तुम सच में मुझसे शादी करोगी न ?" अभिनव ने नेहा के बालों को सहलाते पुछा .
"नहीं, मैं तुमसे शादी नहीं करूंगीं" नेहा अभिनव के बगल में ऑंखें बंद कर लेटी हुई थी, और ऑंखें बंद किये ही अभिनव के सवालों के जवाब दे रही थी.
"दिल तोड़ने वाली बातें क्यों करती हो" अभिनव ने प्यार से पुछा. 
"तुम जो बच्चों वाली बातें करते हो उसका क्या, तीन महीने में हमारी शादी होने वाली है, सबको को न्योता जा चूका है, बस कार्ड बांटने बाकी रह गए हैं, और तुम्हारी सुई अभी भी इसी सवाल पर अटकी है" नेहा उठ कर जाने को तयार होने लगी.
"अच्छा, ठीक है ये बताओ की घर कब देखने चलना है, मैं चाहता हूँ की घर की सेटिंग पहले ही हो जाये, और बस शादी करते ही हम अपने घर में जाएँ" अभिनव ने नेहा से पुछा. 
"Good idea, चलो कल चलते हैं, शुभ काम में देरी कैसी, मैं तो कहती हूँ, इसी हफ्ते में घर देख-दिखा कर पक्का कर लेते हैं, और बस फिर सामान ही ले जाना बाकी रह जायेगा" नेहा ने उत्साहित होते बोला.


- 3 -

"Miss नेहा, ये हैं  Mr. अनंत, इन्होंने आज ही ज्वाइन किया है, छः महीने के लिए ये आपके साथ काम करेंगें, इनको काम सीखना आपकी ज़िम्मेदारी होगी" अनंत का परिचय देते पारुल ने कहा.
"ओ, हेल्लो, आपका कंपनी में स्वागत है" नेहा ने अनंत से हाथ मिलाते कहा, " पहले कहीं काम किया है क्या आपने?".  
"जी, ये मेरी पहली ही नौकरी है" अनंत ने कहा. 
"अरे वाह, मुबारक हो, और मैं अपने को खुश-नसीब समझती हूँ, आशा करती हूँ मैं आपको कुछ सीखा पाऊं" नेहा ने कहा.
"सीखने वाले पर भी निर्भर करता है वो कितना सीखना चाहता है" अनंत ने मुस्कुराते हुए कहा.  
"बहुत ख़ुब, मुझे लगता है अपनी बहुत जमने वाली है" नेहा ने भी नहले पर दहला मार दिया 
दोनों मुस्कुराने लगे.

शाम को घर जाते वक़त नेहा अनंत के बारे मे ही सोचती रही, 'हम्म, सीख लेगा काम, और जल्दी ही सीख लेगा, होशियार लगता है, चलो अच्छा है, तीन महीने बाद मुझे भी छुट्टी लेनी ही है, इसे अपनी तरहं ही काम सीखा दूंगीं, और लगातार फ़ोन पर हिसाब-किताब भी होता रहेगा'.

- 4 -

"और बई, क्या हाल है नेहा जी, शादी की तैयारियां कैसी चल रही हैं?" पारुल ने लंच टेबल पर बैठते पुछा. 
"यार बहुत काम होता है, शादी है या कसरत, जब शादी का दिन आएगा, तब तक मेरे चेहरे पर बस थकान ही नज़र आएगी" नेहा ने खाना खाते बोला. 
"चल कोई न, सब ठीक हो जायेगा, शादी से दो-चार दिन पहले आराम कर लेना, चेहरा भी चमक जायेगा" पारुल ने कहा,"और बता कैसा है नया बंदा, तुझे तो बड़ी बहन वाली फीलिंग आ रही होगी?".
"बस-बस हाँ, ये बहन-भाई का रिश्ता क्यों बनाने बैठ जाते हैं सब, घर में कमी है क्या, ऐसा है, तुम्ही ले जाओ अपने डिपार्टमेंट में और बना लो भाई वहां का, ये ऑफिस है यहाँ काम करने आते है न की रिश्ते जोड़ने" नेहा ने खीजते हुए कहा.
"सही कहा, चलो बताओ, तुम जब छुट्टी पर जाओगी तो काम तो कर लेगा न, बस इतना सीखा देना की तुम्हारे पीछे से कोई दिकत न हो" पारुल ने नेहा से कहा.
"अरे, उसकी फ़िक्र मत करो, और मैं बस पन्द्रह दिन को हो जा रही हूँ, और फ़ोन पर सब हाल पूछती रहूंगीं" नेहा ने लंच बॉक्स बंद करते कहा.
 नेहा वापस अपने केबिन मे आयी अनंत वहां बैठा अपना काम कर रहा था, "ओ, मिस्टर, खाना-वाना नहीं खाना क्या, लंच ब्रेक है, जाओ एन्जॉय करो, खाना खायो, थोड़ा बहार घूम आओ".  
"वो मैं खाना खा कर आता हूँ, और फिर वापस जा कर ही खाता हूँ, मैंने सोचा जल्दी काम खत्म कर लेता हूँ, वो मुझे आज थोड़ा जल्दी जाना था, क्या मैं आधा घंटा पहले जा सकता हूँ" अनंत से नेहा से पुछा.
"क्या बात है, कहीं जाना है क्या" नेहा ने अपनी सीट पर बैठते पुछा.
"जी, मेरी एक खास दोस्त का जन्मदिन है बस वहीँ जाना है" अनंत ने कहा.
"ठीक है चले जाना जल्दी, और हाँ तीन महीने के बाद पंद्रह के लिए मैं छुट्टी पर हूँ, इसलिए बताया की तब कोई छुट्टी नहीं मिलेगी, धयान रखना" नेहा ने अनंत से कहा. 
"जी, मैं धयान रखुगा, मुबारक हो, सुना है आपकी शादी हो रही है" अनंत ने नेहा से पुछा.
"हाँ बई, सबकी शादी होती है, मेरी भी हो रही है" नेहा ने हस्ते हुए कहा.

- 5 -


"अरे ये तो अनंत है" अनंत दूर टेबल पर बैठा था. 

"कौन अनंत, कौन है अनंत" अभिनव ने नेहा से पुछा. 

"अरे, अनंत, मैंने बताया न की वो मेरे ऑफिस में नया आया है, मेरे साथ ही काम करता है" नेहा ने कहा, "पर वो यहाँ क्या कर रह है".

"जो तुम और मैं कर रहे हैं, रेस्टोरेंट में सब खाना खाने हो आते है और किस लिए आते हैं" अभिनव ने मुस्कुराते कहा.

'बड़ी देर से अकेला ही बैठा है, शायद अकेला ही आया हो, यही बुला लेती हूँ' नेहा ने सोचा और मोबाइल उठा कर अनंत का नंबर मिलाने लगी तो देखा अनंत किसीकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा, और अगले हो पल अनंत और कोई लड़की गले मिल रहे थे, अनंत और वो लड़की साथ-साथ बैठ गए और एक दुसरे से हंस-हंस कर बातें करने लगे. 

'ओ, तो ये है वो ख़ास दोस्त, सही है' नेहा को कुछ जलन सी होने लगी 

'अनंत, बहुत खुश नज़र आ रहा है, पर मुझे क्यों बुरा लग रहा है, मेरी शादी हो रही है अभिनव से, और अभिनव मुझसे बहुत प्यार करता है' नेहा अभिनव के कंधे पर सर रख सोचने लगी, 'पर, क्या मैं भी अभिनव से प्यार करती हूँ'!

"क्या, बोलो न, क्या हुआ" अभिनव कुछ बोल रहा था.

"क्या, मैंने क्या कहा" नेहा जैसे होश में आ गयी हो. 

"बहुत दिनों बाद मुझ पर प्यार आ रह है, ऐसे प्यार से तुमने आख़री बार कब मेरे कंधे पर सर रखा था, मुझे तो याद भी नहीं, नेहा, एक बार और पूछने दो, क्या सच में तुम मुझसे शादी करोगी न" अभिनव ने पुछा.

"ओ, अभिनव, पागल हो तुम, अब तो तुमसे ही शादी करनी होगी, और कौन करेगा मुझसे शादी" नेहा, अभिनव को देख मुस्कुराने लगी. 

अभिनव ने नेहा के माथे को चूम लिया .


                            to be continued ....

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