'जाने क्या बात है नींद नहीं आती'
नींद आएगी कैसे :
नींद तो चुरा ली है उम्र ने, अरे निगोड़ी, क्या जल्दी है तुझे,
क्यों इतनी जल्दो बढ़ती ही जा रही है, कहाँ जाना है तुझे इतना तेज़ी से बढ़ कर,
रुक तो सही, अभी तो उम्र है, जी तो लेने दे कम्बखत,
देख तो सही दुनिया कितनी रंगीन है, इतनी रंगीनियां और कहाँ पाओगी,
ये जो हर और रंग ही रंग है इनका क्या होगा.
अभी तो उम्र है, बदन में कुछ सरसराहट सी भी है अभी,
दिल में अरमान भी है अभी, लबों पर एहसास अभी है बाकी.
बदन को अभी भी, किसीके के अघोष में पिघलने की तमन्ना है
अभी भी ज़रा सी आहट पर मचल जाते है एहसास .
क्यों बढ़ना चाहती है तेज़ी से ?
चल छोड़ अब ये ज़िद, देख तो सही रंग दुनिया के, कैसे सज्जेगें ये झुर्रियों में ?
अरमानो को तो देख, क्या यूँ ही अधूरे से रह जायेंगें ये ?
लिहाफ में अभी भी जान बाकी है, छुपा लेगा अभी भी ये मेरे राज़,
वो नशीली आँखों की मस्ती, वो कपकपाते बदन,
वो उलटे-पलटते अरमान, वो मेरे प्रेम की कहानी अभी भी जवान सी है.
किसीके कंधे पर सर रख, दुनिया भुला देने की आस, अभी भी टूटी नहीं है.
सोच तो सही, वो उँगलियाँ कैसे साजेगीं सुनहरी बालों में
वो सहलाना किस तरहं हो पायेगा शिथिल त्वचा पर
वो प्रीत की बातें कैसे होंगीं कंपकपाते होठों से
वो हाथों में हाथ डाल कैसे चल पायेंगें
वो ढलती काया पर कैसे चढ़ेंगें प्रीत के रंग .
ठहर तो सही, देख तो सही, किस प्यार से बुलाता है ये समां
कुछ और लम्हों में सिमट जाने दे
थोड़ा सा और प्रेम अगन में जल जाने दे
कुछ देर और उन बाँहों के घेरों में छुप जाने दे अभी
उन एहससों को थोड़ा और समेटने दे अभी
नस-नस में थोड़ा और प्रेम को बसने दे अभी
थोड़ा सा, बस थोड़ा सा और समय देदे बस ......
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