Part 1 : मुखौटा - Part 1
Part 2 : मुखौटा - The Mask
Part - 3
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"सुजाता, कौन तंग करता है तुम्हें, मुझे नहीं बताओगी".
सुजाता, ये आवाज़ पहचानती थी, आवाज़ सुनते ही वो झेंप गयी,'नहीं ऐसा नहीं हो सकता, वो वापस नहीं आ सकता, मैंने उसे ख़तम कर दिया था', सुजाता कुछ समझ नहीं पा रही थी .
"मेरे तरफ देखो सुजाता, मुझे नहीं पहचानती तुम, कितना प्यार करता हूँ मैं तुम से, और अब तक करता हूँ, एक बार देखो न मेरी तरफ".
सुजाता ने चेहरा अपने हाथों में छुपा रखा था, 'नहीं-नहीं शरद वापस नहीं आ सकता, शरद को तो मैंने".
"सुजाता, ऑंखें खोलो और देखो" माँ ने कहा "तुम, भगवान् नहीं हो किसी को मिटा दोगी, देखो सुजाता" शायद अपनी करनी पर कुछ शर्मिंदगी हो.
सुजाता ने पलट कर देखा तो कुमार उसके सामने खड़ा था, "मेरी आँखों में देखो, पहचानो मुझे, मुझे लगा तुम मुझे एक पल में पहचान लोगी, पर शायद मेरे ही प्यार में कोई कमी रह गयी थी, एक पल क्या तुम मुझे पिछले एक साल से भी न पहचान पायी".
"कुमार, नहीं - नहीं तुम तो शरद हो, पर तुम को तो" सुजाता कांप रही थी,"तुम शरद ही हो, कैसे न पहचान पायी तुम्हें मैं" .
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"शायद तुम्हारी आँखों पर पैसों की पट्टी बंधी थी, कैसे भूल गयी मुझे" शरद, सुजाता के हाथ अपने हाथों में लिए सवाल कर रहा था, "क्या हुआ था उस दिन, मैं पहाड़ से कैसे गिर गया था, और तुम कहाँ थी, तुम्हें तो कोई चोट नहीं आयी थी न" शरद बहुत प्यार से बोल रहा था.
"पहाड़ से गिर गए थे ?, पर सुजाता ने तो बोला की तुम ऑस्ट्रेलिया चले गए हो, फिर ये पहाड़ कहाँ से बीच में आ गया, कोई मुझे भी बताएगा हुआ क्या था ?" नीमा कुछ समझ नहीं पा रही थी, बहुत ही उलझन में थी.
"सुजाता, नीमा कुछ पूछ रही है, तुम बताओगी या ये काम मुझे ही करना होगा ?" माँ ने सुजाता से पुछा.
"माँ, तुम भी सब जानती हो, पर मुझे टोका क्यों नहीं, कुछ समझाया क्यों नहीं" सुजाता अब सब और से घिर गयी थी, वो समझ नहीं पा रही थी क्या करे और क्या कहे.
"कभी-कभी, बात समझाने से भी समझ नहीं आती और तुम, तुम तो सातवें आस्मां पर थी, तुम पर समझाना काम कहाँ आता, तो ये सब होना ही था" माँ ने कहा .
#ekaurkahani
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