सोमवार, 18 अगस्त 2025

भाग्य, कर्म और कुंडली

 

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मानो तो सब कुछ है,
ना मानो तो कुछ भी नहीं।
पर सच यह भी है कि
कहीं न कहीं कुछ तो है।

कुछ बंधन कभी बन ही नहीं पाते,
कुछ बनकर भी पूरे नहीं बनते।
कुछ टूटकर भी नहीं टूटते,
और कुछ ऐसे होते हैं जो
ज़ख्मों को बार-बार कुरेदते रहते हैं—
न जुड़ते, न टूटते।

यहीं से सवाल उठता है पिछले जन्म का।
हम नहीं जानते हमने क्या किया था,
हमें तो स्मरण भी नहीं।
पर शायद यही जन्म इसलिए मिला हो,
कि हमें अपनी गलतियों को सुधारने का
एक और अवसर मिले।

अंक ज्योतिष की दृष्टि से कहा गया है—
यदि आपकी कुंडली में शनि (अंक 8) प्रमुख है,
तो आप किसी न किसी कर्म-ऋण के साथ आए हैं।
आपको जीवन में एक और मौका मिला है
अपने कर्मों को सुधारने का।

शास्त्र कहते हैं—
शनि देव जब अपनी बैलगाड़ी में बिठा लें,
तो आसानी से उतरने नहीं देते,
परंतु गिरने भी नहीं देते।
बस शर्त यही है—
कि इंसान अपने कर्म पर ध्यान दे।

भाग्य तो लिखा ही है,
पर चमकती उसी की किस्मत है,
जो मेहनत और कर्म का दीपक जलाता है।

 और विस्तार से पढ़ने के लिए पढ़ने के लिए इस किताब को पढ़ सकते हैं 
 "अंक ज्योतिष - हरिश जौहरी द्वारा"

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भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने स्पष्ट कहा है—
"कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन।"
अर्थात् इंसान का अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं।

कर्म ही वह शक्ति है जो भाग्य की कठोर रेखाओं को भी बदल सकता है।
आज जो हम बोते हैं, वही कल हमें मिलता है।
अगर पिछली गलतियों का फल हमारे जीवन में दुख बनकर आया है, तो वर्तमान में किए गए सही कर्म भविष्य को सुखद बना सकते हैं।

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 ज्योतिष शास्त्र कहता है कि जन्म के समय ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति हमारी प्रवृत्तियों, स्वभाव और संभावनाओं को दर्शाती है।

कुंडली एक मानचित्र है — जो यह संकेत देती है कि व्यक्ति किन चुनौतियों और अवसरों का सामना करेगा।

उदाहरण के लिए, अंक ज्योतिष कहता है कि यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि (अंक 8) प्रमुख है, तो वह अक्सर किसी न किसी कर्म-ऋण के साथ जन्म लेता है।
उसका जीवन कठिनाइयों से भरा हो सकता है, पर यह कठिनाइयाँ उसे मजबूती देती हैं।
कहा भी गया है—
"शनि देव अपनी बैलगाड़ी में बिठा लें तो आसानी से उतरने नहीं देते,
पर गिरने भी नहीं देते।"

यानी शनि सज़ा नहीं देते, बल्कि जीवन के पाठ सिखाते हैं।

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भाग्य, कर्म और कुंडली तीनों मिलकर जीवन की डोर बुनते हैं।
भाग्य हमें परिस्थिति देता है,
कुंडली हमें संकेत देती है,
और कर्म हमें शक्ति देता है उन परिस्थितियों को बदलने की।

इसलिए जीवन में सबसे बड़ा धर्म है — सत्कर्म
क्योंकि वही भविष्य की कुंडली भी बदल देता है और भाग्य की रेखाएँ भी।

 #अंकज्योतिष
#numerology

 

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