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शनिवार, 6 जुलाई 2024

मंगलवार का महत्व विभिन्न संस्कृतियों में

 

मंगलवार का विभिन्न संस्कृतियों में महत्वपूर्ण स्थान है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं:


  1. प्राचीन रोम:
  • मंगलवार का नाम युद्ध के देवता मंगल (लैटिन में dies Martis) पर रखा गया है। यह प्रभाव रोमांस भाषाओं में भी बना हुआ है; उदाहरण के लिए, स्पेनिश में इसे "martes" और फ्रेंच में "mardi" कहा जाता है।
  1. नॉर्स पौराणिक कथाएँ:
  • अंग्रेजी में, मंगलवार का नाम नॉर्स देवता टायर (पुरानी अंग्रेजी में Tiw) पर रखा गया है, जो युद्ध और संघर्ष से संबंधित है। इसी प्रकार, जर्मन में मंगलवार को "Dienstag" कहा जाता है, जो "Thingstag" से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है "संगठन दिवस," और यह टायर देवता से संबंधित है।
  1. हिंदू धर्म:
  • मंगलवार (मंगलवार) को भगवान हनुमान और मंगल ग्रह (मंगल) को समर्पित किया जाता है, जो शक्ति, साहस और आक्रामकता का प्रतीक है। भक्त अक्सर इस दिन हनुमान जी का आशीर्वाद और शक्ति प्राप्त करने के लिए उपवास करते हैं।
  1. यहूदी धर्म:
  • यहूदी परंपरा में, मंगलवार को शुभ दिन माना जाता है क्योंकि उत्पत्ति की सृष्टि कथा में, भगवान ने तीसरे दिन (मंगलवार) को दो बार कहा, "यह अच्छा था।"
  1. इस्लाम:
  • इस्लामिक परंपराओं में मंगलवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन यह एक सामान्य कार्य दिवस है। हालांकि, कुछ मुस्लिम समुदायों में मंगलवार से संबंधित विशेष रीति-रिवाज या परंपराएं हो सकती हैं।
  1. ग्रीक संस्कृति:
  • ग्रीक संस्कृति में, मंगलवार को विशेष रूप से शादियों जैसे आयोजनों के लिए अशुभ माना जाता है। यह विश्वास कॉन्स्टेंटिनोपल के पतन से जुड़ा है, जो मंगलवार को हुआ था।
  1. स्पेनिश-भाषी संस्कृतियाँ:
  • ग्रीक संस्कृति के समान, कई स्पेनिश-भाषी देशों में मंगलवार (martes) को अशुभ दिन माना जाता है, विशेष रूप से नए उपक्रमों की शुरुआत या यात्रा के लिए। वाक्यांश "En martes, ni te cases ni te embarques" का अर्थ है "मंगलवार को, न शादी करो और न ही यात्रा पर जाओ।"
  1. थाई संस्कृति:
  • थाईलैंड में, सप्ताह के प्रत्येक दिन का एक विशिष्ट रंग से संबंध है, और मंगलवार का रंग गुलाबी है। जो लोग मंगलवार को जन्मे होते हैं, वे अपने जन्मदिन पर अच्छे भाग्य के लिए गुलाबी पहन सकते हैं।

मंगलवार की ये सांस्कृतिक महत्वपूर्णताएं दुनिया भर की मान्यताओं और परंपराओं की विविधता को उजागर करती हैं।

 

सोमवार, 15 नवंबर 2021

कहानी मैसूर पाक की ... Mysor Pak

 


 मिठाई की दूकान में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है, की स्वर्ग अगर है तो ऐसी खुशबु से ही भरा होगा । रंग फूलों से चुरा कर और चाँद से रंगत चुरा कर जो मिठाई बनाते हैं वो लोग कैसी सोच वाले होंगें। शायद मीठा सोचने वाले, मीठा बोलने वाले ही होंगें। पर जो मिठाई बनाता है उसे ही पता होता है की कितना मुश्किल होता है मीठे को हर दिन वैसा ही मीठा रखना, मिठाई के आकर को एक सा रखना, मिठाई के रंग और स्वाद को एक सा बनाये रखना। कितनी मेहनत लगती है और कितना धर्ये रखना पड़ता है। 

मिठाई खाने पर ऐसा लगता है, कैसे ये सब सोच लेते है, मिठाई बनाने के लिए, मिठाई का आकर कैसे तय करते होंगें, कितनी बार बना कर देखते होंगें की ऐसी बने या वैसी बने। एक मिठाई न जाने कितने दिनों और कितने सालों की मेहनत का नतीजा होती होगी।   

एक मिठाई ऐसी भी है जो गलती या जल्द-बाज़ी में बनी एक मिठाई है जो कह सकते हैं की गलती से बन गयी पर फिर भी देश ही नहीं विदेश में प्रसिद्ध हो गयी। वह मिठाई है 'मैसूर पाक'।  कर्नाटका के मैसूर में बनी ये मिठाई वहां के राजा के लिए गलती से बनी एक मिठाई है, जिसके पीछे कथा है की :

सत्तरवीं या अठारवीं शताब्दी में मैसूर में एक राजा थे, जिनका नाम था 'कृष्ण राजा वाडियार' , वह खाने के बड़े शौकीन थे। खाने में बहुत से व्यंजनों का होना और थाली का सज़ा होना उन्हें बहुत पसंद था। एक दिन जब राजा के शाही रसोइये जिनका नाम 'काकासुर मडप्पा', राजा के लिए खाना बना रहे थे तो, परोसते समय थाली में एक कटोरी खाली देख कर उन्हें याद आया की वह मीठा बनाना तो भूल गए, और समय भी नहीं था की कुछ मीठा बनाया जाये, क्यूंकि राजा के खाने का वक़त हो गया था। ऐसे में 'काकासुर मडपा' ने जल्दी से भुने हुए बेसन, घी और चीनी से घोल तैयार किया और उसे मीठे वाली कटोरी में डाल कर राजा को परोस दिया। राजा ने जब खाने के बाद मीठा खाया तो उन्होंने एक कटोरी और मीठे की फरमाईश कर दी। मीठा खाने पर राजा ने तुरंत शाही रसोईये को हाज़िर होने का फरमान जारी कर दिया। राजा ने शाही रसोइये से मिठाई का नाम पुछा तो 'काकासुर मडप्पा' सकते में आ गए। कुछ नाम न सूझने पर उन्होंने अपने से ही मिठाई का नाम बता दिया, जो था 'मैसूर पाक'।  'मैसूर' शहर के नाम पर और 'पाक' का मतलब होता है 'मीठा घोल'। 

दरअसल 'काकासुर मडपा' ने जब मिठाई परोसी तो वो गरम होने की वजह से तरल अवस्था में थी, पर राजा के खाना खाने तक 'मैसूर पाक' ठंडी हो कर ठोस हो गयी और मिठाई खाने पर मुँह में घुल सी गई।  राजा को मिठाई बहुत ही पसंद आयी। तभी से 'मैसूर पाक' शाही मिठाई के नाम से ही जानी जाती है। आज भी कर्नाटका में 'मैसूर पाक' शादियों में बनने वाली पारम्परिक मिठाई है।  

भारत जैसे विशाल देश में इतनी लोक कथाएं हैं की उनको एक साथ कर किताब लिखने लगे लो उम्र कम पड़ जाये। 

#भारत

#मैसूरपाक 

#लोककथा  



बुधवार, 10 नवंबर 2021

लोककथा - अलसायोनि और सिस्क्स (Alcyone and Ceyx)

 

कई लोक कथाएं और मिथक हैं जो प्यार के इर्द - गिर्द घूमती हैं, रोमियो - जूलिएट, हीर - राँझा, शीरी - फरहाद, बहुत सी कहानियां हैं, दुनिया के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सभी देशों में बहुत सी प्रेम कहानियाँ हैं। एक कहानी ये भी है की :  

यह कहानी ग्रीक परौराणिक कथाओं में से है :

अलसायोनि और सिस्क्स (Alcyone and Ceyx (Aslisiyoni and Saex)


ग्रीक पौराणिक कथाओं में त्रकिस (Trachis) नाम का एक शहर था और अलस्योनी (Alcyone) और सिक्स (Ceyx) वहां के राजा और रानी थे। वे एक दुसरे से इन्तेहाँ प्रेम करते थे, और उनके इस इन्तेहाँ प्रेम को देख कर देवता और मनुष्ये दोनों उनके रिश्ते की प्रशंसा करते थे।



दिन गुज़रते गए, धीरे - धीरे उनकी प्रशंसा उनके सर चढ़ गयी, और उन दोनों ने अपने आप को हेरा (Hera) और ज्यूस (Zeus) से भी ऊपर समझना और बोलना शुरू कर दिया।  

ग्रीक पौराणिक कथाओं में ज़ीउस (Zeus) देवताओँ के राजा (King of Gods) जाने जाते है और हेरा (Hera) उनकी पत्नी विवाह की देवी (Goddess of Mariage) के रूप में जानी जाती है।  

एक दिन जब सिस्क्स (Ceyx) अपनी पत्नी के पास वापस जा रहा था, ज़ीउस (Zeus) ने सिस्क्स (ceyx)  को मारने और उसके जहाज़ को उलटने के लिए आंधी तूफ़ान भेजा दिया 

अलस्योनी (Alcyone) समुद्र तट पर अपने लापता पति के प्रकट होने के लिए दिन-रात इंतज़ार करती और फिर थक हार कर उसने हेरा से प्रार्थना की ,कि वह सिक्स (cyex) को उसके पास लौटा दे।

हेरा को उस पर दया आ गयी और उसने सिक्स (Ceyx) के शरीर को इंतज़ार करती अलसियोनि (Alcyone) के पास समुन्द्र तट पर पहुंचा दिया ताकि उसे अपने पति का इंतज़ार न करना पड़े। 

अलस्योनी अपने पति को देख कर शोक में डूब गयी, और समुन्दर में डूबकर खुदखुशी करने का फैसला कर लिया। 

लेकिन ज़ीउस (zeus) ने उन दोनों के प्यार को अमर करने के लिए, उन दोनों को सुन्दर पक्षियों में बदल दिया।  

आज भी साल में सात दिनों तक जब ग्रीस में समुन्दर शांत होता है तो माना जाता है की अलस्योनी (Alcyone) और सिक्स (Ceyx) पक्षियों के रूप में नए जीवन को रूप देने आते है।

#लोककथाएं

#हिंदीकहानी