'हिंदी कवितायेँ 'और कुछ 'हिंदी कहानियाँ' सपनो में गुज़र रही है ज़िन्दगी, ख्यालो में बना रखा है हमने अपना घर, दिल की बात को शब्दों की माला में पिरोते रहना, बस इतना ही बना रखा है हमने अपना दायरा, जीने के लिए बस जो ज़रूरी है उतने में ही समेट रखा है हमने अपना जहां। 'Hindi Poems' and some 'Hindi Stories'
सोमवार, 12 मई 2025
सोमवार, 21 अप्रैल 2025
ब्रह्मांड हमेशा सुनता है
ऊर्जा की गतिशीलता को समझना: मानवीय संबंधों की गहराई में एक दृष्टि
"देखो, यहाँ एक सीख है"
हमारी ज़िन्दगी में कुछ भी
संयोग से नहीं होता।
हर इंसान, हर अनुभव और
हर समय पर घटने
वाली घटना — सब कुछ एक
खास ऊर्जा पर आधारित होता
है। यह ऊर्जा केवल
सामने वाले की नहीं
होती, बल्कि हमारी अपनी ऊर्जा और
उसकी वर्तमान स्थिति पर भी निर्भर
करती है।
कल्पना
कीजिए, आप किसी पुराने
दोस्त को भूल चुके
हैं। सालों से संपर्क नहीं
है। और अचानक एक
दिन वो व्यक्ति वापस
आ जाता है — एक
कॉल, एक मैसेज, या
आमने-सामने। आप सोचते हैं,
“अचानक क्यों?”
यह वास्तव में अचानक नहीं
होता। यह उस समय
आपके ऊर्जा क्षेत्र (aura) की स्थिति पर
निर्भर करता है। हमारी
ऊर्जा हर दिन, हर
परिस्थिति में बदलती है।
जब हम किसी विशेष
ऊर्जा फ्रीक्वेंसी पर होते हैं
— भावनात्मक, आध्यात्मिक या मानसिक रूप
से — तो हम उन
लोगों को आकर्षित करते
हैं जिनकी ऊर्जा उस समय हमारे
साथ मेल खा रही
होती है।
कई बार, ब्रह्मांड उन्हें
वापस भेजता है ताकि हम
अधूरी बातें पूरी कर सकें,
कुछ सीख सकें, या
किसी पुराने घाव को ठीक
कर सकें।
यह कोई संयोग नहीं।
कई बार ये लोग
हमारे जीवन में “सोल
कॉन्ट्रैक्ट” (soul
contracts) के तहत आते हैं
— यानी हमारी आत्मा पहले से ही
कुछ आत्माओं से वादा करती
है कि वे ज़रूरत
के समय आएंगी। वे
लोग हमें प्रेरित कर
सकते हैं, चुनौती दे
सकते हैं, या हमें
खुद से मिलवा सकते
हैं।
🎕"ऊर्जा शब्दों से नहीं, भावनाओं से जुड़ती है — यही असली संबंधों की भाषा है।"🎕 |
💖 "जब आपकी आत्मा तैयार होती है, तो ब्रह्मांड सही व्यक्ति को सही समय पर भेजता है।"💖 |
कभी-कभी हम अजीब
सपने देखते हैं — पुराने रिश्ते, अनजाने लोग, या भविष्य
की छवियां। ये सपने भी
ऊर्जा का एक रूप
हैं। हमारे अवचेतन (subconscious) में जो ऊर्जा
बनी रहती है, वही
हमारे सपनों में बदलकर आती
है। यह संदेश, चेतावनी,
या मार्गदर्शन हो सकता है।
एक महिला ने बताया कि कैसे उसने सपने में एक पुराने साथी को बार-बार देखा, और दो हफ्ते बाद वह व्यक्ति वास्तव में संपर्क में आया — माफी मांगने और closure देने। यह सिर्फ सपना नहीं था, यह एक ऊर्जा संकेत था।
🌻 "हम अपने वर्तमान ऊर्जा स्तर के आधार पर लोगों और घटनाओं को आमंत्रित करते हैं — न कि केवल उनके कर्मों से।" 🌻 |
💮"ऊर्जा शब्दों से नहीं, भावनाओं से जुड़ती है — यही असली संबंधों की भाषा है।" 💮 |
आपको अपने ही सवालों के जवाब मिलने लगेंगे। जवाब भीतर हैं, और ऊर्जा ही उन्हें बाहर लाती है।
#ब्रह्मांडहमेशासुनताहै
सोमवार, 7 अप्रैल 2025
"फ़ेक न्यूज़" या झूठी ख़बरें
आज का युग सूचना और तकनीक का युग है। इंटरनेट, सोशल मीडिया, और 24x7 समाचार चैनलों ने हमें जानकारी की दुनिया से जोड़ दिया है। जहाँ एक ओर ये माध्यम हमें तुरंत जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं, वहीं दूसरी ओर "फ़ेक न्यूज़" या झूठी खबरों का बाज़ार भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। फ़ेक न्यूज़ का मतलब ऐसी खबरों से है जो पूरी तरह झूठी, भ्रामक या अधूरी होती हैं और जिनका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना, डर फैलाना या किसी व्यक्ति, संस्था या समुदाय की छवि को नुकसान पहुँचाना होता है।
आजकल
फ़ेक न्यूज़ किसी भी सोशल
मीडिया प्लेटफॉर्म—जैसे कि व्हाट्सएप,
फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि—पर तेजी
से फैलती है। कई बार
यह खबरें इतनी आकर्षक होती
हैं कि लोग बिना
जांच-पड़ताल किए उन्हें आगे
शेयर कर देते हैं।
इससे झूठी जानकारी एक
चक्र की तरह फैलती
रहती है और कई
बार इसका असर गंभीर
होता है।
फ़ेक
न्यूज़ का सबसे बड़ा
खतरा यह है कि
यह समाज में भ्रम,
अफवाह और तनाव पैदा
करता है। कई बार
धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं,
जातीय संघर्ष भड़कते हैं, या किसी
खास समुदाय के खिलाफ नफरत
फैलती है। 2020 में कोरोना महामारी
के दौरान भी फ़ेक न्यूज़ (Fake News) का ज़बरदस्त प्रसार हुआ। लोगों को
झूठी दवाओं, गलत इलाज और
साजिशों के बारे में
गलत जानकारियाँ दी गईं, जिससे
डर और भ्रम का
माहौल बन गया।
इस बढ़ते संकट के कई
कारण हैं –
- सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल,
- लोगों में तथ्य जांचने की कमी,
- जल्दबाज़ी में खबरें शेयर करना,
- और कई बार प्रोपेगेंडा फैलाना।
फ़ेक
न्यूज़ पर नियंत्रण पाना
बहुत जरूरी है। इसके लिए
सबसे पहले जनता को
जागरूक होना पड़ेगा। कोई
भी खबर पढ़ने के
बाद यह जरूरी है
कि हम उसकी पुष्टि
करें कि वह विश्वसनीय
स्रोत से है या
नहीं। समाचार को आगे शेयर
करने से पहले उसकी
सच्चाई जांच लेना एक
जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है।
सरकार
और तकनीकी कंपनियों को भी इस
दिशा में सक्रिय भूमिका
निभानी चाहिए। सोशल मीडिया कंपनियों
को ऐसे सिस्टम तैयार
करने चाहिए जो झूठी खबरों
की पहचान कर उन्हें रोक
सकें। साथ ही, जो
लोग बार-बार झूठी
खबरें फैलाते हैं, उनके खिलाफ
सख्त कार्रवाई भी जरूरी है।
अंत
में यही कहा जा
सकता है कि फ़ेक
न्यूज़ एक गंभीर सामाजिक
समस्या बन चुकी है।
इसे रोकने के लिए सरकार,
मीडिया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स
और सबसे महत्वपूर्ण, आम
नागरिक—सभी को मिलकर
काम करना होगा। जब
हम जागरूक होंगे, तभी सच और
झूठ के बीच फर्क
कर सकेंगे और समाज को
एक बेहतर दिशा में ले
जा सकेंगे।
फ़ेक
न्यूज़ (Fake News) एक ऐसा वायरस
बन चुका है जो
समाज को अंदर से
खोखला कर रहा है।
इसके खिलाफ लड़ाई में हर व्यक्ति
की भूमिका अहम है। जिम्मेदारी
से जानकारी साझा करना और
सोच-समझकर प्रतिक्रिया देना ही एक
जागरूक नागरिक की पहचान है।
#fakenews
सोमवार, 10 मार्च 2025
ज़िंदा - ज़िंदा सा
अपनी खुशबु से महका दो मुझको
कि आज कुछ होश-होश सा लग रहा है मुझको
एक बार फिर अपने प्यार में डूबा दो मुझको
कि ना जाने क्यूँ खुद से ही बेगाना सा लग रहा है मुझको
बस आज अपने प्यार से दीवाना बना दो मुझको
की ना जाने क्यों तन्हां-तन्हां सा लग रहा है मुझको
बस आज मुझको, मुझ से ही चुरा लो
की ना जाने क्यों ज़िंदा - ज़िंदा सा लग रहा है मुझको
#hindiblog
#kahaanikaar
सोमवार, 24 फ़रवरी 2025
बस इतना सा ही जहां होता
एक नज़र का ख़्वाब
होता,
कोई मीठा सा हिसाब
होता,
तेरी बाहों में सिमट जाती
मैं,
या फिर कोई नया
ख्वाब होता।
रास्ते
चुपचाप चलते,
हम कहीं दूर तक
चलते,
ना कोई मंज़िल की
फ़िक्र होती,
ना कोई डर साथ
पलते।
बादलों
से गुफ़्तगू करते,
चाँद की चुप्पी को
पढ़ते,
सांसों की धड़कनें सुनते,
ख़ामोशी में लफ़्ज़ बुनते।
पर ये दुनिया रोक
देती है,
हर कदम पे टोक
देती है,
कभी रिवाज़ों की ज़ंजीरें,
कभी रस्मों की दीवारें खींच
देती हैं।
फिर
भी सोचती हूं हर पल,
अगर ये सब ना
होता,
एक मैं और एक
तुम,
बस इतना सा ही
जहां होता
: इतना सा जहां : |
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