रिश्ते और उनकी बातें या कहानियां बड़ी अजीब सी होती हैं। बस एक शब्द, बस एक हाव-भाव रिश्तों की दिशा ही बदल देता है। और सबसे बढ़कर एक विषाक्त रिश्ता, हमारी सोच ही बदल देता है। सोच ही नहीं बल्कि हमसे जुड़े रिश्तों और भविष्य में जुड़ने वाले रिश्तों का भी अर्थ ही बदल देता है। बहुत मेहनत करनी होती है रिश्तों को सन्जो के रखने के लिए, पर एक बस एक शब्द रिश्तों में कड़वाहट या रिश्तों का सम्बन्ध बदलने के लिए काफी होते हैं।
विष तो विष है, अपने व्यास में आने वाली हर वस्तु को वो विषैला कर देता है, और कहीं कोई इस विष के प्रभाव से परलोक नहीं सिधारा तो वो इस विष को अपनी आने वाली पीढ़ियों में भी बाँट देता है।
'मेरे माँ-बाप ने मेरे लिए क्या छोड़ा, जो मैं छोड़ कर जाऊं' बस इतना ही है, जो मुझे नहीं मिला वो मैं, आगे दूंगा भी नहीं, सोच बस एक सोच ही तो है ये, और अगर मैं इस सोच को बदल दूँ तो ! गाँधी जी ने कहा था,'कोई एक गाल पर थपड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो', पर मैं ये नहीं कह रही आप भी अपना दूसरा गाल आगे करो, बस इतना की कोई थपड़ मारे तो बात को ख़तम करने के लिए मुस्कुरा के वहां से चल दी जिए। बात ख़तम तो हो ही जाएगी, पर जो ज़हर का पल था वो भी गुज़र जायेगा, और ये विष खुद ही तड़प कर मर जायेगा।
विषैला व्यक्ति विष ही उगलेगा, सुबह घर से निकलने से पहले घर से गुस्सा नुमा कचरे की बोरी उठा कर निकलता है, फिर बस में बैठता है, वो कचरे की बोरी किसी और के सर मड दी, अब वो दूसरा व्यक्ति यही कचरे वाली बोरी किसी और के सर मड देता है, और बस विष बटने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, और यह चलते-चलते एक महामारी बन जाती है। सोचा जाये तो अगर वो पहला व्यक्ति वो कचरे की बोरी नहीं उठता तो ये सब बटना-बटाना न होता। और विष सब और न फैलता, बस वहीँ घुट कर मर जाता।
सयम खुद पर होना बहुत ज़रूरी है, एक शोध के अनुसार हसीं और खुशी वाला व्यक्ति तनाव के माहौल को भी बदल देता है। इस शोध में एक व्यक्ति को लोगों से भरी बस में भेजा गया, और वो व्यक्ति अपने मोबइल पर ईरफ़ोन लगा कर कुछ देखते हुए बीच-बीच में हस्ता है, और उसे हस्ते हुए देख पांच मिनट के अंदर-अंदर बस में बैठे सभी लोग भी हसने लग गए।
दुःख अगर बांटने से कम होता है तो ख़ुशी बांटने से और बढ़ती ही है। खुश रहिये, खुशियां बाटें। Keep Smiling :)
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