सोमवार, 7 अप्रैल 2025

"फ़ेक न्यूज़" या झूठी ख़बरें

 आज का युग सूचना और तकनीक का युग है। इंटरनेट, सोशल मीडिया, और 24x7 समाचार चैनलों ने हमें जानकारी की दुनिया से जोड़ दिया है। जहाँ एक ओर ये माध्यम हमें तुरंत जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं, वहीं दूसरी ओर "फ़ेक न्यूज़" या झूठी खबरों का बाज़ार भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। फ़ेक न्यूज़ का मतलब ऐसी खबरों से है जो पूरी तरह झूठी, भ्रामक या अधूरी होती हैं और जिनका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना, डर फैलाना या किसी व्यक्ति, संस्था या समुदाय की छवि को नुकसान पहुँचाना होता है।


फ़ेक न्यूज़ का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह समाज में भ्रम, अफवाह और तनाव पैदा करता है। कई बार धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, जातीय संघर्ष भड़कते हैं,


आजकल फ़ेक न्यूज़ किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म—जैसे कि व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि—पर तेजी से फैलती है। कई बार यह खबरें इतनी आकर्षक होती हैं कि लोग बिना जांच-पड़ताल किए उन्हें आगे शेयर कर देते हैं। इससे झूठी जानकारी एक चक्र की तरह फैलती रहती है और कई बार इसका असर गंभीर होता है।

फ़ेक न्यूज़ का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह समाज में भ्रम, अफवाह और तनाव पैदा करता है। कई बार धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, जातीय संघर्ष भड़कते हैं, या किसी खास समुदाय के खिलाफ नफरत फैलती है। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान भी फ़ेक न्यूज़ (Fake News) का ज़बरदस्त प्रसार हुआ। लोगों को झूठी दवाओं, गलत इलाज और साजिशों के बारे में गलत जानकारियाँ दी गईं, जिससे डर और भ्रम का माहौल बन गया।

इस बढ़ते संकट के कई कारण हैं –

  1. सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल,
  2. लोगों में तथ्य जांचने की कमी,
  3. जल्दबाज़ी में खबरें शेयर करना,
  4. और कई बार प्रोपेगेंडा फैलाना

 इतना ही नहीं, फ़ेक न्यूज़ का इस्तेमाल राजनीति में भी होता है। चुनावों के समय अक्सर विरोधी दलों के खिलाफ झूठी खबरें फैलाकर जनता को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है, क्योंकि इससे जनता का सही फैसला लेने की क्षमता प्रभावित होती है।

फ़ेक न्यूज़ पर नियंत्रण पाना बहुत जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले जनता को जागरूक होना पड़ेगा। कोई भी खबर पढ़ने के बाद यह जरूरी है कि हम उसकी पुष्टि करें कि वह विश्वसनीय स्रोत से है या नहीं। समाचार को आगे शेयर करने से पहले उसकी सच्चाई जांच लेना एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है।

सरकार और तकनीकी कंपनियों को भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। सोशल मीडिया कंपनियों को ऐसे सिस्टम तैयार करने चाहिए जो झूठी खबरों की पहचान कर उन्हें रोक सकें। साथ ही, जो लोग बार-बार झूठी खबरें फैलाते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी जरूरी है।

अंत में यही कहा जा सकता है कि फ़ेक न्यूज़ एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है। इसे रोकने के लिए सरकार, मीडिया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सबसे महत्वपूर्ण, आम नागरिक—सभी को मिलकर काम करना होगा। जब हम जागरूक होंगे, तभी सच और झूठ के बीच फर्क कर सकेंगे और समाज को एक बेहतर दिशा में ले जा सकेंगे।

फ़ेक न्यूज़ (Fake News) एक ऐसा वायरस बन चुका है जो समाज को अंदर से खोखला कर रहा है। इसके खिलाफ लड़ाई में हर व्यक्ति की भूमिका अहम है। जिम्मेदारी से जानकारी साझा करना और सोच-समझकर प्रतिक्रिया देना ही एक जागरूक नागरिक की पहचान है।

#fakenews

सोमवार, 10 मार्च 2025

ज़िंदा - ज़िंदा सा


अपनी खुशबु से महका दो मुझको 

कि आज कुछ होश-होश सा लग रहा है मुझको 

एक बार फिर अपने प्यार में डूबा दो मुझको 

कि ना जाने क्यूँ खुद से ही बेगाना सा लग रहा है मुझको 

बस आज अपने प्यार से दीवाना बना दो मुझको 

की ना जाने क्यों तन्हां-तन्हां सा लग रहा है मुझको

बस आज मुझको, मुझ से ही चुरा लो 

की ना जाने क्यों ज़िंदा - ज़िंदा सा लग रहा है मुझको

#hindiblog
#kahaanikaar

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

बस इतना सा ही जहां होता


एक नज़र का ख़्वाब होता,
कोई मीठा सा हिसाब होता,
तेरी बाहों में सिमट जाती मैं,
या फिर कोई नया ख्वाब होता।

रास्ते चुपचाप चलते,
हम कहीं दूर तक चलते,
ना कोई मंज़िल की फ़िक्र होती,
ना कोई डर साथ पलते।

बादलों से गुफ़्तगू करते,
चाँद की चुप्पी को पढ़ते,
सांसों की धड़कनें सुनते,
ख़ामोशी में लफ़्ज़ बुनते।

पर ये दुनिया रोक देती है,
हर कदम पे टोक देती है,
कभी रिवाज़ों की ज़ंजीरें,
कभी रस्मों की दीवारें खींच देती हैं।

फिर भी सोचती हूं हर पल,
अगर ये सब ना होता,
एक मैं और एक तुम,
बस इतना सा ही जहां होता

 : इतना सा जहां :
 

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

तुमको देखा तो



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 तुमको आज बहुत अरसे बाद देखा तो ख़्याल आया...

वक़्त की रफ्तार ने हमसे कितनी बातें छीन लीं।

वो मासूम सी हँसी, वो बेफिक्र सी बातें, वो दिन जो कभी हमने साथ गुजारे थे, सब जैसे धुंधला सा हो गया था।

पर आज, जब तुम सामने आए, तो मानो पुरानी यादें फिर से ज़िंदा हो गईं।

तुम्हारी आँखों में वही चमक थी,

वही शरारतें जो कभी मुझे गहरी सोच में डुबा देती थीं।

तुम्हारे चेहरे की मुस्कान अब भी वही थी, जो हर मुश्किल को आसान कर देती थी।

लगा जैसे वक़्त ने हमें अलग कर दिया, लेकिन हमारे बीच की दोस्ती और वो यादें अभी भी वहीं हैं, जहां हमने उन्हें छोड़ा था।

बहुत कुछ कहना था, बहुत कुछ सुनना था।

पर न जाने क्यों, शब्दों ने साथ छोड़ दिया।

बस एक सन्नाटा था और दिल में एक ख़्याल...

तुमसे मिलने की चाह और वो अधूरी बातें, जो शायद कभी मुकम्मल नहीं होंगी।


जब किसी को हम बहुत अरसे बाद देखते हैं, तो मानो समय के साथ हमारी यादें और भावनाएँ भी जीवित हो उठती हैं। वो लम्हा, वो दिन, और वो बातें जो एक समय पर हमारे जीवन का हिस्सा थीं, अचानक से हमारी आँखों के सामने तैरने लगती हैं। ऐसा ही मेरे साथ हुआ जब मैंने तुम्हें आज बहुत अर्से बाद देखा। तुम्हारी एक झलक ने ही बीते दिनों की सारी यादें ताजा कर दीं।

जाने कितने ही वर्षों के बाद, तुम्हारा चेहरा देखकर मैंने मानो वक्त को पीछे खींच लिया था। उस एक पल में मानो समय रुक गया था और मैं बस तुम्हारे चेहरे को देखकर अपने अतीत में खो गया था। वो हंसी, वो मुस्कान, वो आँखें, सब कुछ बिल्कुल वैसा ही लगा जैसे सालों पहले था। हालाँकि, समय के साथ हमारे जीवन में न जाने कितने बदलाव आए होंगे, पर कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं। तुम्हारा चेहरा देखकर मुझे वो सारी बातें याद आ गईं जो हमने साथ बिताई थीं।

तुम्हारे साथ बिताए वो लम्हे, वो बातें और वो भावनाएँ फिर से मेरे दिल में जगह बना गईं। मुझे याद आया कि कैसे हम एक-दूसरे के साथ हर छोटी-बड़ी बात साझा करते थे, कैसे हम हँसते, गाते और बिना किसी वजह के खुश रहते थे। वो दिन बहुत खास थे और शायद इसलिए भी जब मैंने तुम्हें आज देखा तो वो ख्याल फिर से लौट आए।

हमारे बीच एक खास रिश्ता था, ऐसा रिश्ता जो शायद शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। वो दिन जब हमने साथ बैठकर अनगिनत बातें कीं, वो रास्ते जिन पर हमने साथ में चलने का वादा किया था, और वो सपने जो हमने मिलकर देखे थे। मुझे याद है कि कैसे हमारी मुलाकात एक साधारण से मौके पर हुई थी, और देखते ही देखते हम दोनों एक-दूसरे के लिए खास बन गए थे।

समय के साथ हमारे रास्ते बदल गए, ज़िंदगी हमें अलग-अलग मोड़ों पर ले गई। शायद ये नियति थी कि हम दोनों अपनी राहों पर बढ़ते चले जाएँ और वक्त की धारा में बहते-बहते कहीं दूर चले जाएँ। पर आज जब मैंने तुम्हें देखा, तो लगा जैसे कुछ भी नहीं बदला है। वो खामोशी, वो खामोश बातें, जो हमारे बीच थीं, वो सब फिर से लौट आई थीं।

तुम्हें देखकर मैंने सोचा कि समय के साथ कैसे हम लोगों को भूल जाते हैं। पर क्या सच में हम किसी को भूल पाते हैं? शायद नहीं। जो लोग हमारे दिल में होते हैं, उनकी यादें कहीं न कहीं हमारे भीतर बसी रहती हैं। चाहे हम अपनी ज़िंदगी में कितनी ही दूर क्यों न चले जाएँ, वो यादें हमें हमेशा एक झलक के रूप में मिल ही जाती हैं।

तुम्हें देखकर मुझे एहसास हुआ कि ज़िंदगी में कितनी ही बातें होती हैं जो बिना कहे ही रह जाती हैं। उन बातों का बोझ हमारे दिल पर हमेशा रहता है, लेकिन हम उन्हें ज़ाहिर नहीं कर पाते। शायद यही बातें हमें एक दूसरे से जोड़ती हैं और दूर भी करती हैं। पर आज तुम्हें देखकर मैंने उस बोझ को हल्का महसूस किया।

तुम्हारे साथ बिताए लम्हे मुझे उन सपनों की याद दिला गए जो हमने एक साथ देखे थे। वो बातें जो अधूरी रह गईं, वो वादे जो कभी पूरे नहीं हो सके, वो ख्याल जो हमारे दिलों में बसे थे। शायद हम एक-दूसरे के लिए सही समय पर सही व्यक्ति नहीं थे, पर आज महसूस हुआ कि हम हमेशा एक-दूसरे के दिल में खास जगह रखते हैं।

तुम्हारी आँखों में भी एक अजीब सी चमक थी, जैसे तुम भी इन सब बातों को याद कर रही हो। उस एक नज़र में हमने शायद एक-दूसरे को सब कुछ कह दिया, जो कभी कह नहीं पाए थे। वो खामोशी जो हमारी आँखों के जरिए बयाँ हो रही थी, वो बहुत कुछ कह रही थी।

ज़िंदगी के सफर में हम कभी-कभी ऐसे मोड़ों पर पहुँच जाते हैं जहाँ हम अपने बीते समय को फिर से जी लेना चाहते हैं। आज तुम्हें देखकर मुझे भी ऐसा ही लगा। ऐसा लगा कि अगर वक़्त को थोड़ा पीछे कर सकूँ, तो उन दिनों को फिर से जी लूँ। पर सच तो ये है कि समय कभी वापस नहीं आता। वो लम्हे अब केवल यादों में ही बसे रहेंगे, लेकिन इन यादों का अपना ही एक अलग महत्व है।

तुम्हें देखकर मुझे एहसास हुआ कि हमारे रिश्ते में कुछ अधूरा था। अधूरापन ही शायद हमें खास बनाता है। वो ख्याल जो कभी पूरे नहीं हो सके, वो सपने जो अधूरे रह गए, वो बातें जो कभी कही नहीं गईं, वो सब कुछ हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।

ज़िंदगी हमें बहुत कुछ सिखाती है, और तुम्हें देखकर मैंने सीखा कि किसी को खोकर भी हम उसे हमेशा अपने दिल में ज़िंदा रख सकते हैं। वक्त भले ही हमें दूर कर दे, लेकिन वो यादें हमें जोड़ कर रखती हैं। शायद यही जिंदगी का असली मायना है – लोगों को अपने दिल में जिंदा रखना, चाहे वो हमारे पास हों या न हों।

तुम्हें देखकर मुझे अपनी ज़िंदगी के उन सारे लम्हों का एहसास हुआ जिनमें तुम मेरे साथ थे। वो खुशी, वो ग़म, वो छोटी-छोटी बातें जो हम साझा करते थे, सब कुछ फिर से ताजा हो गया। शायद ये हमारी जिंदगी की कहानी है – लोगों से मिलना, बिछड़ना और उनकी यादों में जीना।

जब मैंने तुम्हें आज बहुत अर्से बाद देखा, तो लगा जैसे मैंने खुद को फिर से पा लिया हो। तुमसे मिलकर मैं अपने अतीत में लौट गया, और उन सारे लम्हों को फिर से जी लिया। शायद इस मुलाकात का कोई मकसद नहीं था, पर इसने मेरे दिल को हल्का कर दिया।

इस जिंदगी में हम सभी अपने रास्ते पर आगे बढ़ते हैं, नए रिश्ते बनाते हैं, नए अनुभवों का सामना करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमें कभी नहीं भूलते। तुम भी उनमें से एक हो।



#premptr #तुमकोदेखातो  #yaaden


शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

पारंपरिक फेस पैक

 भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद और पारंपरिक उपचारों से जुड़ी त्वचा देखभाल की एक समृद्ध विरासत है, जिसका उपयोग हजारों वर्षों से किया जा रहा है। ये प्रक्रियाएं प्राकृतिक सामग्रियों, संतुलन, और ऐसे अनुष्ठानों पर जोर देती हैं जो त्वचा को भीतर से पोषण देते हैं, और इस दर्शन के साथ संरेखित होती हैं कि सुंदरता स्वास्थ्य और संतुलन का प्रतिबिंब है। यहाँ भारतीय त्वचा देखभाल के कुछ प्रमुख सिद्धांत और प्रक्रियाएँ दी गई हैं:

समय-सम्मानित त्वचा देखभाल अभ्यास पीढ़ियों से चले आ रहे हैं और आज भी संपूर्ण सौंदर्य दिनचर्या को प्रेरित करते हैं।

1. आयुर्वेद और दोष-आधारित त्वचा देखभाल

  • आयुर्वेद, जो कि प्राचीन स्वास्थ्य विज्ञान है, हर व्यक्ति का इलाज उनके दोष (शरीर की संरचना) के अनुसार करने पर जोर देता है - वात, पित्त, या कफ। आयुर्वेद में त्वचा देखभाल इन दोषों को संतुलित करने के लिए अनुकूलित की जाती है जिससे त्वचा का स्वास्थ्य बढ़ता है।
  • वात त्वचा (शुष्क) को अतिरिक्त नमी की आवश्यकता होती है, पित्त त्वचा (संवेदनशील) को ठंडक पहुँचाने वाले उपचार से लाभ होता है, और कफ त्वचा (तैलीय) सफाई और एक्सफोलिएशन से अच्छी प्रतिक्रिया देती है।
  • जोजोबा, बादाम, और नारियल जैसे आयुर्वेदिक तेलों का प्रत्येक त्वचा प्रकार को संतुलित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

2. प्राकृतिक सामग्री

  • भारतीय त्वचा देखभाल प्राकृतिक सामग्रियों पर अत्यधिक निर्भर करती है, जिनमें से कई में औषधीय गुण होते हैं। सामान्य सामग्रियों में शामिल हैं:
    • हल्दी: इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुणों के लिए जानी जाती है, हल्दी का उपयोग त्वचा को निखारने, मुँहासों को कम करने, और चमक प्रदान करने के लिए किया जाता है।
    • चंदन: इसकी ठंडक, शांति और सूजनरोधी गुणों के लिए उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से संवेदनशील या मुँहासे प्रवण त्वचा पर।
    • नीम: यह शक्तिशाली जड़ी-बूटी एंटीबैक्टीरियल और शुद्धिकरण के लिए जानी जाती है, जो मुँहासे के इलाज और संक्रमण को रोकने में मदद करती है।
    • गुलाब जल: एक प्राकृतिक टोनर और शीतलन एजेंट, गुलाब जल त्वचा का पीएच संतुलित करने में मदद करता है और अक्सर इसे ताज़ा और हाइड्रेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

3. तेल से सफाई और अभ्यंग (स्वयं-मालिश)

  • तेल से सफाई: त्वचा की सफाई के लिए प्राकृतिक तेलों का उपयोग करना आम बात है। नारियल, बादाम, और तिल जैसे तेलों का उपयोग अशुद्धियों को हटाने के लिए किया जाता है, जो त्वचा को प्राकृतिक तेलों से अलग नहीं करता है, इसे शुष्क त्वचा प्रकारों के लिए आदर्श बनाता है।
  • अभ्यंग (स्वयं-मालिश): गर्म तेलों से पूरे शरीर की मालिश का यह आयुर्वेदिक अभ्यास न केवल मॉइस्चराइज़ करता है, बल्कि रक्त संचार में सुधार, विश्राम को बढ़ावा देता है, और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है। इस अनुष्ठान का अक्सर साप्ताहिक रूप से अभ्यास किया जाता है और त्वचा को गहरे पोषण प्रदान करता है।

4. उबटन से एक्सफोलिएशन (जड़ी-बूटी वाले स्क्रब)

  • उबटन हर्बल पाउडर होते हैं जो बेसन, हल्दी, चंदन, और गुलाब की पंखुड़ियों जैसी सामग्रियों से बने होते हैं। इन्हें पानी, दूध, या गुलाब जल के साथ मिलाकर एक पेस्ट बनाया जाता है, जो त्वचा को एक्सफोलिएट, साफ़ और निखारने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • यह प्राकृतिक एक्सफोलिएशन विधि कोमल होती है और अक्सर विशेष अवसरों या त्योहारों से पहले चमकदार त्वचा प्राप्त करने के लिए उपयोग की जाती है।

5. त्वचा की समस्याओं के लिए फेस पैक

  • फेस पैक भारतीय त्वचा देखभाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो विभिन्न त्वचा संबंधी चिंताओं के लिए तैयार किए गए हैं:
    • शुष्क त्वचा: शहद, दूध और बादाम जैसी सामग्री वाले पैक।
    • तैलीय या मुँहासे प्रवण त्वचा: नीम, हल्दी, और दही का उपयोग शुद्ध और तेल को नियंत्रित करने के लिए।
    • टैनिंग और पिगमेंटेशन: हल्दी और नींबू का उपयोग टैन को कम करने और त्वचा की टोन को समान बनाने के लिए किया जाता है।

6. छाछ और दही से हाइड्रेशन

  • छाछ और दही जैसे किण्वित डेयरी उत्पाद त्वचा की देखभाल में उनके शांत और हाइड्रेटिंग गुणों के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन्हें अक्सर जलनयुक्त त्वचा को शांत करने, सूजन को कम करने, और त्वचा की बनावट में सुधार करने के लिए लगाया जाता है। इनमें प्राकृतिक लैक्टिक एसिड भी होता है जो हल्के एक्सफोलिएशन में मदद करता है।

7. आहार और त्वचा देखभाल

  • भारतीय त्वचा देखभाल एक संतुलित आहार पर जोर देती है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ, जड़ी-बूटियाँ, और मसाले शामिल होते हैं जो त्वचा को भीतर से पोषण प्रदान करते हैं। घी (स्पष्ट मक्खन), आंवला (भारतीय करौदा), और तुलसी जैसी खाद्य सामग्री त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और चमक बनाए रखने के लिए शामिल की जाती हैं।

8. सन प्रोटेक्शन और ठंडक देने वाली जड़ी-बूटियाँ

  • प्रचुर धूप वाले देश में, सन प्रोटेक्शन आवश्यक है। एलोवेरा और खीरा जैसी सामग्रियों का उपयोग धूप के संपर्क के बाद त्वचा को ठंडक और शांति देने के लिए किया जाता है।
  • लाल चंदन पाउडर या जिंक-आधारित सूत्र जैसे प्राकृतिक सनस्क्रीन त्वचा की सुरक्षा में मदद करते हैं, जबकि शतावरी और मुलेठी जैसी जड़ी-बूटियाँ पिगमेंटेशन और सनस्पॉट का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं।

9. सौंदर्य अनुष्ठान और प्रथाएँ

  • कुमकुमादी तैलम: यह आयुर्वेदिक फेशियल तेल अक्सर "चमत्कारी अमृत" कहा जाता है और त्वचा को निखारने और पुनर्जीवित करने के लिए रात में उपयोग किया जाता है।
  • गोल्डन ग्लो: शादियों जैसे विशेष अवसरों के लिए, दुल्हनें हल्दी और चंदन का पेस्ट लगाती हैं जिससे चमकदार त्वचा प्राप्त होती है।
  • थ्रेडिंग और शुगरिंग: भौहों के लिए थ्रेडिंग और शरीर के बालों के लिए शुगरिंग जैसी पारंपरिक बाल हटाने की तकनीकें आम हैं और उनके प्राकृतिक, प्रभावी परिणामों के लिए मूल्यवान हैं।

10. मन-शरीर का संबंध

  • भारतीय सौंदर्य अनुष्ठान ध्यान, योग, और प्राणायाम (सांस लेने के व्यायाम) पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं ताकि तनाव को नियंत्रित किया जा सके और एक स्वस्थ चमक को बनाए रखा जा सके। मन-शरीर का दृष्टिकोण इस बात पर जोर देता है कि तनाव को कम करने और आत्म-देखभाल का अभ्यास करने का त्वचा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ये समय-सम्मानित त्वचा देखभाल अभ्यास पीढ़ियों से चले आ रहे हैं और आज भी संपूर्ण सौंदर्य दिनचर्या को प्रेरित करते हैं। कोमल देखभाल के साथ प्राकृतिक, पौधों पर आधारित सामग्री को मिलाकर, भारतीय त्वचा देखभाल अनुष्ठान अपनी प्रभावशीलता और कल्याण से जुड़ाव के लिए दुनिया भर में प्रतिष्ठित हैं।