कविता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कविता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

मै और नहीं हूँ जीना चाहती..................

 

 

बांध लो मुझको कंटीले तारों से,
के अब मै उड़ते-उड़ते भी थक गयी हूँ।
घायल कर दो मुझे को छलनी-छलनी करके,
क्यूंकि अब तो बस तुम्हारे पास हूँ मै रहना चाहती।
आँखों के आगे खेड़िया लगवा दो,
के अब मै तुम्हारे सिवा कुछ नहीं हूँ देखना चाहती।
मेरे अंग-अंग पर अपने नाम की स्याही रचा दो,
क्यूंकि अब मुझे कोई और रंग ही नहीं बहाता।
मेरी रूह को निकाल कर खुद में कहीं छुपा लो,
के अब मै और नहीं हूँ जीना चाहती।


बुधवार, 27 मार्च 2013

एक ख्याल.................


एक रंग तुम भी चुन लो, एक रंग हम भी चुन लेते है,🌈🌈
और चलो रंग हीन ज़िन्दगी में कुछ रंग भर लेते है।

एक प्रकरण तुम चुन लो, एक प्रकरण हम भी चुन लेते है,
और चलो अपनी एक नयी कहानी लिखते है।

एक ख्याल तुम्हारा हो, एक ख़याल मेरा हो,
चलो बस इतने में ही ज़िन्दगी गुज़ार लेते है।

हर ओर मुस्कराहट तुम्हारी हो,
ज़रे-ज़रे में खुशबु भी बस तुम्हारी हो,
रोम-रोम में बस तुम ही तुम हो,
बटुए में बस प्यार ही तुम्हारा हो,
रहने के लिए बस दिल ही तुम्हारा हो,
जिंदा रहने के लिए बस साथ तुम्हारा हो,
चलो बस इतने में ही अब ज़िन्दगी गुज़ार लें,
बच गयी है जो उसे ही अब समेट कर सवार लें,
आओ जो कुछ भी है चलो उस में ही ज़िन्दगी गुज़ार लें।


मंगलवार, 19 मार्च 2013

एक अचानक की फिर से मौत................


एक अचानक की फिर मौत हो जाएगी,
गर तुम फिर चेहरा मौड़ कर चले जाओगे।

एक अचानक की फिर मौत हो जाएगी,
गर तुम आँखों को फिर से पानी के हवाले कर जाओगे।

एक अचानक की फिर से मौत हो जाएगी,
गर तुम दिल में फिर से तूफ़ान छोड़ फिर चले जाओगे।

एक अचानक की फिर मौत हो जाएगी,
गर तुम मुझे फिर से बेवफाई के हवाले कर जाओगे।

एक अचानक की फिर मौत हो जाएगी,
गर तुम फिर से मेरे अरमानो की माला मेरी कबर के लिए छोड़ जाओगे।

एक अचानक की फिर मौत हो जाएगी,
गर तुम अचानक ही आ कर फिर से दुनिया की भीड़ में खो जाओगे।


मंगलवार, 12 मार्च 2013

मैं नहीं हूँ ................


 










हर बार मेरा हाथ प्यार से थाम कर कहते है वो,         
मैं नहीं हूँ तुम्हारे लिए।
हर बार मेरी आँखों में देख कर कहते है वो,
मैं नहीं हूँ इनका नूर।
हर बार मेरी रूह को छु कर कहते है वो,
मैं नहीं हूँ इसका लिबास।
हर बार मेरे दिल में ज़रा सा और खुद को बसा कर कहते है वो,
मैं नहीं इस में हूँ समा सकता।
हर बार मुझे मुझसे से थोडा और बेगाना बना कर कहते है वो,मैंमै नहीं हूँ तुम्हरे लिए।
हर पल मेरे जीने की वजह बन, कहते है वो,
मर जाना चाहता हु मै।
मुझे जीने की वजह दे कर अब मेरी जान ले लेना चाहते है वो।

बुधवार, 6 मार्च 2013

क्या हम यूँ ही.............

क्या हम यूँ ही नहीं जी सकते बस जीने के वास्ते !
क्या हम यूँ ही नहीं मिल सकते बस मिलने के वास्ते !
क्या हम यूँ ही नहीं तुमको देख सकते बस देखने के वास्ते!
क्या हम यूँ ही नहीं तुमको छु सकते बस छूने के वास्ते !
क्या हम यूँ नहीं तुम्हारे हो सकते बस जिंदा रहने के वास्ते।

                    

रविवार, 28 अक्तूबर 2012

तुमने ने ना जाने


बेगानी सी आवाजों में अपनी आवाज़ ढूंढते थे हम,
आँखों में सबकी अपना अक्स दुढ़ते थे हम,
चुप रह कर अपनी आवाज़ को सुनना चाहते थे हम,
 कुछ ना बोलने पर भी अपनी बात को कहना चाहते थे हम,
चेहरों की भीड़ में अपना ही चेहरा दुढ़ते थे हम,
जिंदा लाशों में अपनी ही रूह को लादे फिर रहे थे..

तुमने ने ना जाने किस तरहां पुकारा हमको,
की मेरी रूह में कुछ हलचल सी हो गई,
तुमने ना जाने कौन सा साज़ छेड़ा की,
की मेरी ऑंखें भी चमक कर नाच उठीं,
तुमने ना जाने क्या कहा की,
हम खुद से बेगाने से हो गए.

💕💕💕💕💕💕💕

शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

बस युहीं.............




दुनिया की भीड़ में बैठ कर हमने भी,
खुली आखों से ख्वाब कईं देखे.
सच हुए या नहीं सोचा नहीं कभी.
पर बस युहीं बैठे-बैठे हमने भी,
बहुत  जन्नतों  के नज़ारें देखे
ख्वाब खुदा की सबसे हसीं देन है,
जो दुनिया में हम ना पा सके,
उसे ख़्वाबों ने सदा के लिए हमारा बना डाला.
जिस बात को हम चाह कर भी ना कह सके,
उसे ख़्वाबों की हर दिवार पर लिख डाला.
जिसकी चाहत बन हम इक पल भी ना जी सके,
ख्वाबो में हमने खुद को उसके लिए मरते भी देखा.

बुधवार, 29 अगस्त 2012

एक सवाल ...............


 ना मझधार है, ना  पार है,  
ना इकरार है, ना इंकार है,
ना चलता है, ना रुकता है,
ना बहता है, ना बहाता है,
ये कैसा एक सवाल है,
क्यूँ ज़िन्दगी से तकरार है,
आने वाले पल का इंतज़ार है,
मगर वो सब एक सपना है,
हकीकत तो ये जिंदगानी है,
जो एक दिन मिट्टी में मिल जानी है,
फिर क्यूँ ये उदासी है, क्यूँ ये तनहाई है,
क्यूँ ये झमेले है, इतने लोगों में भी,
क्यूँ हम अकेले है!!!


मंगलवार, 14 अगस्त 2012

विडंबना...............


🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳

जड़ की है ये विडंबना की,                                    
कोई उसे देख नहीं पाता,
पर पौधे का अस्तित्व बिना उसके,
हो ही नहीं सकता.

चित की भी है ये विडंबना,
की उसे भी कोई देख नहीं पाता,
इसलिए किस के सीने में,
कैसा और कितना गम है,
इसका कोई और अनुमान नहीं लगा सकता.

काजल से भरी आँखों से,
सब धोखा खा जाते है,
इसलिए उनमे बसे आंसुओं का,
कोई अनुमान नहीं लगा सकता.

एक नज़र में चेहरे की सुर्खी,
मदहोश कर देती है,
इसलिए दूसरी नज़र में कोई,
दर्द की लकीरें नहीं गिनता.

गुलाबी वस्त्रों से काया की कोमलता,                                       

तो सब को  दिख जाती है,
पर अन्दर जो शिरा-शिरा छलनी है,
उसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता.

जीवन की विडंबना ये है की,
जीना ना भी रास आये तो भी जीना पड़ता है.

🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳

रविवार, 29 जुलाई 2012

हरजाई से दो नैना.............



हरजाई से दो नैना,
कलम मिलते ही लकीरें खीचनें लगते है.
रंगीन ना भी मिले काली कलम से ही,
रूप-रेखा बनाने लग जाते है.

हरजाई से दो नैना,
मन-भावन रंग मिलते ही,
सपनो में रंग भरने लग जाते  है.

हरजाई से दो नैना,
रंग ढल भी जाये तो काली रूप-रेखा को,
मन की गहराई में छुपा लेते है. 

हरजाई से दो नैना,
अरमानों में दरार भी पड़ जाये,
तो भी दर्द छुपा लेते है.

हरजाई से दो नैना,
दिल में तूफ़ान भरा हो,
तो भी प्रकाश स्तम्भ बन चमकते रहते है.

हरजाई से दो नैना ,
सारी रात पानी में नहा कर भी,
सुबह पानी को काजल से सुखा लेते है.



सोमवार, 16 जुलाई 2012

कुछ लिख देना----------------

कुछ लिख देना----------------


आँखों में उम्मीद लिए,
ज़हन में सवाल  लिए,
चले तो आये थे तुम.


मगर ना जाने किस बात से परेशान से लग रहे थे तुम,
दिल में गर सवाल बेहिसाब से हों  ,
तो पूछ लेना बेहतर होता है, क्यूंकि,
कई बार रास्ता अनजान होता है,                               
और सजीव वस्तु वास्तव में निर्जीव होती है.


अब इस बात से तुम, खुद को परेशान ना करना, 
हमको को आदत है बस यूँ ही बोलते रहने की.
खुली आखों से सपने देखना,
उमीदों को रंग-बिरंगे पंख देना,
हर बात पर यूँ ही कुछ कह देना,
आदत सी बन गई है हमारी.
शब्दों को रंगीन चोला पहना देना,
दिल बहला देने का सामान सा बन गया है हमारा.
हर बात पर कुछ लिख देना मेरे,
अवचेतन मन का स्वरुप सा बन गया है.


इसलिए, अब इस बात से तुम,
खुद को परेशान सा न करना,

मुझको तो आदत है कुछ भी लिख देने की।




जीवन, जीवन सा हो -----------


हर अजनबी चेहरे के पीछे छुपी होती है कहानी कोई,
या तो मैं सब कुछ गोर से देखता हूँ,
या फिर चेहरे पड़ना मेरी आदत सी हो गई है.

हर बार तुमको देख कर लगता है,
कहीं तुम से ही तो नहीं जुड़ी कहानी मेरी,
हर बार न जाने क्यूँ हताश सा हो रह जाता हु मैं.

ना जाने क्यूँ जीवन उलझा सा लगने लग गया है अब तो,
ना जाने क्यूँ नहीं उलझन सुलझा पाता हु मैं.

ना जाने क्यूँ पुष्प माला नहीं बन पाती है मुझसे,
ना जाने क्यूँ हताश सा हो द्वारे से ही लौट आता हूँ मैं,
और उपासना की आस दिल में लिए खाली हाथ ही लौट आता हु मैं.

ना जाने क्यूँ नहीं बन पाती मूरत मुझसे,
या फिर क्यूँ नहीं मिट जाती हर आस मुझ में से,
जीवन बस जीवन सा हो,
बस यही उम्मीद पूरी क्यूँ नहीं हो पाती मुझसे.

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

हम है.......

हमने कहा चलो यही थम जाएँ ,
तुमने कहा, अभी तो चले है.
 
हमने कहा यह रास्ता ख़राब  है 
तुमने कहा रास्ता बना लेंगें, डर किस बात का है.
 
हमने कहा हम और तन्हाँ हो जायेंगें,
तुमने कहा हम हर पल अपना एहसास दिलाएंगे.
 
हमने कहा जाने दो हमको,
तुमने कहा बड़ी मुद्दत के बाद मिले हो,
अब कहाँ
जाओगे .
 
हमने कहा तो तुमने ना माना,
अब हम रास्ते पर
  तन्हां   है,
 
और तुम, तुम न जाने कहाँ खो गए हो.
ना तुमसे कोई शिकायत है, 
ना तुमसे कोई शिकवा है,
बस यही डर है,कहीं फिर से तुम,
फिर से छोड़ कर जाने के लिए ना आ जाओ.

रविवार, 29 अप्रैल 2012

अब तो यही डर लगा रहता है हमको


तुझे दिल में बसा तो ले,                      
पर कहीं तू भी बेवफा ना  निकले,
दिल को गुमान सा होता है अब तो .

खुद को तुम्हारे हवाले कर तो  दें ,
पर कहीं तू भी साथ चलते-चलते ,
आधे रस्ते से रास्ता बदल न ले,
दिल को गुमान सा होता है अब तो .

तुम्हारे इंतज़ार में ये उम्र गुज़ार तो दे,
पर कहीं रास्ते में ही,
ज़िन्दगी के गम हमसे जीत  ना  जाये ,
अब तो यही डर लगा रहता है हमको.



गुरुवार, 29 मार्च 2012

खुदा पर विश्वास है बाकी.......





जब तुम्हारे होने का एहसास ना था,
तब हम बेफिक्रे से थे ,
जब तुम्हारे प्यार का साथ ना था ,
तब हम खुद से भी बेगाने से थे,
तुम से मिलकर एहसास होता है दिल को,
की शायद मेरी मंजिल का द्वार यही है,
तुम्हारे प्यार ने कुछ इस तरहां बांध लिया है,
की हम खुद को भी है भूल जाना चाहते,
पर ज़ालिम वक़्त की मार से है डर जाते,
जो पल-पल याद दिलाता है की,
तुम्हारे और मेरे बीच,
अभी भी कम से कम एक जनम का फासला है.
पर फिर भी एक आस तो है ही बाकी ,
जो पल-पल है उम्मीद बांधती की,
की जहां चहा है वहां राह भी है बन जाती .
और खुदा पर विश्वास है बाकी,
की वो कभी तो सुन लेगा हमारी

गुरुवार, 22 मार्च 2012

जी लो और जीने दो


जी लो और जीने दो की,
क्यूंकि अब तो मैं भी,
थक चूका हु,
ज़िन्दगी का भोझा डोते-डोते,

जी लो और जीने दो
क्यूंकि अब तो मेरा भी,
मुखोटा छलनी-छलनी हो गया है,

जी लो और जीने दो ,
क्यूंकि अब तो मेरे दिल को,
सीने वाला सूत्र भी,
कतरा- कतरा हो छुका है,

जी लो और जीने दो ,
क्यूंकि अब तो मेरा जिस्म भी,
तार -तार हो छुका है.

जी लो और जीने दो की ज़िन्दगी है जीने के लिए ,
ना जाने कब वो घड़ी आ जाये की ,
ना मैं रहू , ना तुम रहो ,
बस हम्हारे बीच की ये रंजिशे ही ,
वीरान दीवारों से सर टकराती रह जाये .


रविवार, 29 जनवरी 2012

अपना कौन होता है ???



मिलकर भी नहीं मिलते ऐसे लोग क्यूँ मिल जाते है ?
होकर भी अपने नहीं हो पाते,
ऐसे रिश्ते क्यूँ बन जाते है?
जिनको हम अपना नहीं सकते,
ऐसे लोग क्यूँ मन को भा जाते है?
जो दिल में समा जाते है,
ऐसे लोग पास क्यूँ नहीं रह जाते?
गम ही जब हमदम लगने लगे,
तो पल भर ख़ुशी क्यूँ मिल जाती है?
दिलों को मिल कर बिछड़ना ही होता है,
तो दिल क्यूँ मिल जाते है?
अपना सा लगने वाला भी पराया होता है,
तो यहाँ अपना कौन होता है?

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

तुम्हारा दिया फूल ,



तुम्हारा दिया फूल,
तनहाई में पड़ा मुरझा गया,
तुम्हारा दिया फूल,
पुरानी किताब में पड़ा सूख गया,
तुम्हारा दिया फूल,
मुझे तुमसे कितना दूर ले आया,
तुम्हारा दिया फूल,
आज फिर से याद आ गया,
तुम्हारा दिया फूल,
पहला और आखरी बन कर रहे गया,
तुम्हारा दिया फूल,
तुम्हारी याद क्यूँ ना उड़ा ले गया,
तुम्हारा दिया फूल.

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

इंतजार ...............



जिसे कभी देखा नही,उसका इंतजार क्यूँ रहता है मुझे,
आने वाले कल का इंतजार क्यूँ रहता है मुझे.
झूठ तो झूठ है फिर भी क्यूँ सच लगता है मुझे,
आने वाले कल का इंतजार क्यूँ रहता है मुझे.
जिंदगी एक समुंद्र है फिर क्यूँ डूबना अच्छा लगता है मुझे,
आने वाले कल का इंतजार क्यूँ रहता है मुझे .
हर श्कस पराया है फिर भी क्यूँ अपना लगता है मुझे,
आने वाले कल का इंतजार क्यूँ रहता है मुझे.